गाजियाबाद: उत्तराखंड और ऊपरी जलग्रहण क्षेत्रों में लगातार हो रही बारिश के कारण अपस्ट्रीम बैराजों से 1 लाख 39 हजार क्यूसेक पानी छोड़े जाने के बाद सोमवार को मथुरा में यमुना खतरे के निशान से ऊपर चली गई। वहीं, आगरा में भी अलर्ट स्तर पर जलस्तर पहुंच गया है। अधिकारियों ने निचले इलाकों के लिए बाढ़ की चेतावनी जारी कर दी है। लोगों को नदी के किनारे से दूर रहने की चेतावनी दी है। रविवार देर रात से जलस्तर में वृद्धि सोमवार शाम को भी जारी रहा। वहीं, हाथिनी कुंड बैराज से 3,21,653 क्यूसेक पानी छोड़े जाने के बाद गाजियाबाद में भी अलर्ट जारी कर दिया गया है। गाजियाबाद डीएम दीपक मीणा ने लोगों को सतर्क और सावधान रहने को कहा है।
अधिकारियों का कहना है कि सोमवार शाम मथुरा के प्रयाग घाट पर जलस्तर 166.24 मीटर दर्ज किया गया। यह खतरे के निशान से ऊपर है। आगरा में यमुना का जलस्तर 151.29 मीटर था, जो 152.5 मीटर के खतरे के स्तर से थोड़ा कम है। मथुरा में गोकुल बैराज से यमुना में 99,119 क्यूसेक और ताजेवाला स्थित हथिनीकुंड बैराज से 44,000 क्यूसेक पानी छोड़ा गया।
गाजियाबाद पर मंडराया खतराहाथिनी कुंड, सहारनपुर से 3.21 लाख क्यूसेक पानी छोड़े जाने से स्थिति गंभीर होती दिख रही है। बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है। इस संबंध में गाजियाबाद डीएम दीपक मीणा ने जिले के लोगों को अलर्ट कर दिया है। गाजियाबाद में अभी स्थिति नियंत्रण में है। हालांकि, प्रशासन की ओर से किसी भी विषम स्थिति से निपटने के लिए प्लान बनाया जा रहा है। डीएम ने भी आम लोगों को सतर्क और सावधान रहने को कहा है। अफवाहों पर ध्यान न देने का निर्देश दिया है। प्रशासन की ओर से हेल्पलाइन नंबर जारी किया गया। इस पर लोग कॉल कर स्थिति की जानकारी ले सकेंगे।
मथुरा के गांवों में असरमथुरा के वृन्दावन, छाता, नौहझील और शेरगढ़ इलाकों के कई गांवों में बाढ़ की खबर है। सबसे अधिक प्रभावितों में महावन तहसील के अंतर्गत बलदेव ब्लॉक के नगला अकोस के साथ ही सियारा, चंदौरी और बहटा गांव शामिल हैं। आगरा के सदर तहसील के बाढ़ प्रभावित गांवों में तनूरा, नूरपुर, कैलाश, स्वामी बाग, नगला बूढ़ी, अमर विहार दयालबाग, मोती महल, कटरा वजीर खान, रामबाग बस्ती, अप्सरा टॉकीज और यमुना किनारा रोड (वेदांत मंदिर से किले तक) शामिल हैं।
फतेहाबाद तहसील में भारापुर, बमरौली, इदौन, भदयाना, मेविकलाव, गुड़ा मेवली खुर्द और हिमायुपुर गांवों को भी खतरे में चिह्नित किया गया है। मथुरा से आगरा तक प्रशासन बाढ़ के बढ़ते खतरे को देखते हुए अलर्ट है। लगातार डूब क्षेत्रों की निगरानी की जा रही है। लोगों को सुरक्षित निकालने की प्रक्रिया जारी है।
एडीएम ने दी जानकारीएडीएम वित्त एवं राजस्व शुभांगी शुक्ला ने बाढ़ को लेकर कहा कि राजस्व विभाग के अधिकारी बाढ़ संभावित क्षेत्रों में लगातार गश्त कर रहे हैं। स्थिति की बारीकी से निगरानी की जा रही है। निवासियों को यमुना के जलस्तर की लाइव अपडेट दी जा रही है। उन्होंने बताया कि सभी संबंधित विभागों को उचित व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं।
डीएम की एडवाइजरीआगरा के डीएम अरविंद मल्लपा बंगारी ने प्रभावित गांवों के लोगों से राशन कार्ड, पासबुक और आधार कार्ड जैसे ज़रूरी दस्तावेज वाटरप्रूफ बैग में रखने, क्लोरीन की गोलियां, ओरल रिहाइड्रेशन सॉल्ट और जरूरी दवाइयां प्राथमिक उपचार किट में रखने को कहा गया है। ऊंचाई वाले इलाकों में सूखा अनाज और पशुओं का चारा रखने का आग्रह किया है।
डीएम ने दी जलस्तर की जानकारीआगरा डीएम ने यमुना के जलस्तर को लेकर कहा कि अभी नदी का जलस्तर 151.29 मीटर है। यह चेतावनी स्तर है। खतरे का स्तर 152.5 मीटर है। जिले में यमुना नदी के बाढ़ का उच्च स्तर 154 मीटर है। जिला प्रशासन पानी के और बढ़ने की स्थिति में तैयार है। दहशत की कोई स्थिति नहीं है। उन्होंने कहा कि तेज बहाव के कारण लोगों को नदी में जाने से बचना चाहिए।
डीएम ने बताया कि निचले इलाकों में पानी खेतों में घुस गया है। हमने प्रभावित गांवों की पहचान कर ली है। जरूरत पड़ने पर लोगों को निकालने के लिए शिविर लगा दिए हैं। हम चंबल के उफान से फसलों को हुए नुकसान का भी सर्वेक्षण कर रहे हैं। सर्वेक्षण के बाद मुआवजा दिया जाएगा।
अधिकारियों का कहना है कि सोमवार शाम मथुरा के प्रयाग घाट पर जलस्तर 166.24 मीटर दर्ज किया गया। यह खतरे के निशान से ऊपर है। आगरा में यमुना का जलस्तर 151.29 मीटर था, जो 152.5 मीटर के खतरे के स्तर से थोड़ा कम है। मथुरा में गोकुल बैराज से यमुना में 99,119 क्यूसेक और ताजेवाला स्थित हथिनीकुंड बैराज से 44,000 क्यूसेक पानी छोड़ा गया।
गाजियाबाद पर मंडराया खतराहाथिनी कुंड, सहारनपुर से 3.21 लाख क्यूसेक पानी छोड़े जाने से स्थिति गंभीर होती दिख रही है। बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है। इस संबंध में गाजियाबाद डीएम दीपक मीणा ने जिले के लोगों को अलर्ट कर दिया है। गाजियाबाद में अभी स्थिति नियंत्रण में है। हालांकि, प्रशासन की ओर से किसी भी विषम स्थिति से निपटने के लिए प्लान बनाया जा रहा है। डीएम ने भी आम लोगों को सतर्क और सावधान रहने को कहा है। अफवाहों पर ध्यान न देने का निर्देश दिया है। प्रशासन की ओर से हेल्पलाइन नंबर जारी किया गया। इस पर लोग कॉल कर स्थिति की जानकारी ले सकेंगे।
मथुरा के गांवों में असरमथुरा के वृन्दावन, छाता, नौहझील और शेरगढ़ इलाकों के कई गांवों में बाढ़ की खबर है। सबसे अधिक प्रभावितों में महावन तहसील के अंतर्गत बलदेव ब्लॉक के नगला अकोस के साथ ही सियारा, चंदौरी और बहटा गांव शामिल हैं। आगरा के सदर तहसील के बाढ़ प्रभावित गांवों में तनूरा, नूरपुर, कैलाश, स्वामी बाग, नगला बूढ़ी, अमर विहार दयालबाग, मोती महल, कटरा वजीर खान, रामबाग बस्ती, अप्सरा टॉकीज और यमुना किनारा रोड (वेदांत मंदिर से किले तक) शामिल हैं।
फतेहाबाद तहसील में भारापुर, बमरौली, इदौन, भदयाना, मेविकलाव, गुड़ा मेवली खुर्द और हिमायुपुर गांवों को भी खतरे में चिह्नित किया गया है। मथुरा से आगरा तक प्रशासन बाढ़ के बढ़ते खतरे को देखते हुए अलर्ट है। लगातार डूब क्षेत्रों की निगरानी की जा रही है। लोगों को सुरक्षित निकालने की प्रक्रिया जारी है।
एडीएम ने दी जानकारीएडीएम वित्त एवं राजस्व शुभांगी शुक्ला ने बाढ़ को लेकर कहा कि राजस्व विभाग के अधिकारी बाढ़ संभावित क्षेत्रों में लगातार गश्त कर रहे हैं। स्थिति की बारीकी से निगरानी की जा रही है। निवासियों को यमुना के जलस्तर की लाइव अपडेट दी जा रही है। उन्होंने बताया कि सभी संबंधित विभागों को उचित व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं।
डीएम की एडवाइजरीआगरा के डीएम अरविंद मल्लपा बंगारी ने प्रभावित गांवों के लोगों से राशन कार्ड, पासबुक और आधार कार्ड जैसे ज़रूरी दस्तावेज वाटरप्रूफ बैग में रखने, क्लोरीन की गोलियां, ओरल रिहाइड्रेशन सॉल्ट और जरूरी दवाइयां प्राथमिक उपचार किट में रखने को कहा गया है। ऊंचाई वाले इलाकों में सूखा अनाज और पशुओं का चारा रखने का आग्रह किया है।
डीएम ने दी जलस्तर की जानकारीआगरा डीएम ने यमुना के जलस्तर को लेकर कहा कि अभी नदी का जलस्तर 151.29 मीटर है। यह चेतावनी स्तर है। खतरे का स्तर 152.5 मीटर है। जिले में यमुना नदी के बाढ़ का उच्च स्तर 154 मीटर है। जिला प्रशासन पानी के और बढ़ने की स्थिति में तैयार है। दहशत की कोई स्थिति नहीं है। उन्होंने कहा कि तेज बहाव के कारण लोगों को नदी में जाने से बचना चाहिए।
डीएम ने बताया कि निचले इलाकों में पानी खेतों में घुस गया है। हमने प्रभावित गांवों की पहचान कर ली है। जरूरत पड़ने पर लोगों को निकालने के लिए शिविर लगा दिए हैं। हम चंबल के उफान से फसलों को हुए नुकसान का भी सर्वेक्षण कर रहे हैं। सर्वेक्षण के बाद मुआवजा दिया जाएगा।
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