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रिवाबा जडेजा: 3 साल में यूं ही नहीं बनीं गुजरात की मंत्री, जान लीजिए 2018 का वो वाकया जिसने बदली जिंदगी

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अहमदाबाद: क्रिकेटर रवींद्र जडेजा की पत्नी रिवाबा जडेजा 31 साल उम्र में MLA Gujarat बनी थीं, तब उन्हाेंने पति के साथ एमएलए गुजरात की प्लेट लेकर एक फोटो भी पोस्ट की थी। महज तीन साल में वह गुजरात की मंत्री बन गई है। शुक्रवार को उन्हें गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। मूलरूप से राजकोट की रहने वाली रिवाबा जडेजा क्षत्रिय परिवार से आती हैं। वह 2016 में रवींद्र जडेजा के साथ विवाह बंधन में बंधी थी। ऐसे में सिर्फ 10 सालों में उन्होंने बड़ी तरक्की हासिल की है। वह न सिर्फ सबसे युवा मंत्री हैं बल्कि सबसे अमीर भी। यही वजह है कि मंत्री बनने के रिवाबा लगातार सुर्खियों में हैं। गुजरात की नई मंत्रीमंडल की सबसे युवा सदस्य बनी रिवाबा जडेजा को प्राथमिक, माध्यमिक और प्रौढ़ शिक्षा राज्य मंत्री बनाया गया है।









रिवाबा जडेजा के पास कितनी संपत्ति?

जामनगर उत्तर की विधायक रिवाबा, विधान परिषद की सबसे अमीर मंत्री भी हैं, उन्होंने अपने चुनावी हलफनामे में 97 करोड़ रुपये की संपत्ति घोषित की है। वह व्यवसायी हरदेवसिंह सोलंकी और सेवानिवृत्त रेलवे कर्मचारी प्रफुल्लबा की इकलौती संतान है। रिवाबा राजकोट के यूनिवर्सिटी रोड और कोठी कंपाउंड इलाकों में पली-बढ़ीं। इसके बाद उन्होंने निर्मला कॉन्वेंट स्कूल में पढ़ाई की। 2016 में क्रिकेटर रवींद्र सिंह जडेजा से शादी करने के बाद, वह पूरी तरह से लोगों की नजरों में आ गईं।









2018 में बटोरी थीं सुर्खियां

मैकेनिकल इंजीनियर रिवाबा पहली बार 2018 में फिल्म 'पद्मावत' के विरोध के दौरान सुर्खियों में आईं, जिसके कारण उसी साल उन्हें करणी सेना की महिला शाखा की प्रमुख बना दिया गया। टाइम्स ऑफ इंडिया से बात करते हुए उनके पिता हरदेवसिंह ने याद किया कि उसी साल बाद में रवींद्र जडेजा और रिवाबा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिले। उन्होंने उन्हें राजनीति में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित किया। पीएम ने कहा कि जब आप सभी की सेवा कर सकते हैं तो एक समुदाय की सेवा क्यों करें? इससे उन्हें सामाजिक कार्य करने की प्रेरणा मिली।









पीएम मोदी के भरोसे पर खरी उतरीं

वह इसके बाद 2019 में बीजेपी में शामिल हो गईं। इसके बाद जामनगर जिले के 200 से अधिक गांवों को कवर करने वाले महिला सशक्तिकरण अभियान के साथ जल्द ही अपनी पहचान बना ली। सामाजिक कार्यों के प्रति रिवाबा की प्रतिबद्धता कोविड महामारी के दौरान उनके काम में स्पष्ट हुई और जब चक्रवात सौराष्ट्र में आए। उन्होंने लोगों को खाना मुहैया कराया। इसके अलावा सैनिटरी पैड बांटे। रिवाबा यहीं नहीं रुकीं उन्होंने प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में जरूरतमंदों की मदद की। सुकन्या समृद्धि योजना के तहत उन्होंने 111 लड़कियों की मदद की, जिसे पीएम मोदी से मान्यता मिली।
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