भिवानी: हरियाणा के भिवानी जिले के पशुपालन विभाग के वेटरनरी सर्जनों ने एक जहरीले कोबरा सांप की जान बचाने में सफलता हासिल की है। यह दुर्लभ और बेहद जटिल ऑपरेशन भिवानी स्थित सरकारी पशु चिकित्सालय एवं पॉलीक्लिनिक में किया गया, जहां डॉक्टरों ने जिंदगी और मौत से जूझ रहे इस कोबरा को नई जिंदगी दी। यह कोबरा गंभीर रूप से घायल अवस्था में कैरी गांव के ग्रामीणों को मिला। सांप के पेट पर गहरी चोट लगी थी, जिससे उसकी आंत का एक हिस्सा बाहर निकल आया था और सड़ने लगा था। ग्रामीणों ने मानवता और करुणा का परिचय देते हुए सांप को मारने के बजाय एक प्लास्टिक बैग में रखकर पशु चिकित्सालय पहुंचाया।
सांप की हालत थी गंभीर
पशु चिकित्सक डॉ. जोनी ने बताया कि सांप को गंभीर हालत में अस्पताल लाया गया था। जांच के दौरान पता चला कि उसके शरीर में गहरा घाव था, जिससे आंत का हिस्सा बाहर निकलकर सड़ने लगा था। यह मामला बेहद संवेदनशील था क्योंकि सांप विषैला था और उसकी एनाटॉमी बेहद नाजुक होती है। डॉक्टरों ने पहले सांप को सामान्य एनेस्थीसिया (बेहोशी) दी, ताकि उसकी हलचल बंद हो सके। इसके बाद सड़ी हुई आंत को अत्यंत सावधानीपूर्वक अलग किया गया। सबसे चुनौतीपूर्ण चरण था आंत को उसकी सही जगह पर वापस स्थापित करना और घाव को बंद करना, जो सटीकता और अनुभव की मांग करता था।
वन्यजीव विभाग ने उपचार के लिए सौंपा
नियमों के अनुसार, पशुपालन विभाग सीधे जंगली जानवरों का इलाज नहीं कर सकता। इसलिए मामले की जानकारी वन्यजीव विभाग को दी गई। विभाग के निरीक्षक देवेन्द्र हुड्डा ने बताया कि विभाग के कर्मचारियों ने सांप को अपने कब्जे में लिया और उपचार के लिए पशु चिकित्सकों को सौंपा। इलाज के बाद सांप को कुछ समय निगरानी में रखा गया और स्वस्थ होने पर जंगल में छोड़ दिया गया। सांप का इलाज पशुपालन विभाग के डॉक्टरों ने किया और सफल उपचार के बाद उसे भी सुरक्षित जंगल में छोड़ा गया।
सांप की हालत थी गंभीर
पशु चिकित्सक डॉ. जोनी ने बताया कि सांप को गंभीर हालत में अस्पताल लाया गया था। जांच के दौरान पता चला कि उसके शरीर में गहरा घाव था, जिससे आंत का हिस्सा बाहर निकलकर सड़ने लगा था। यह मामला बेहद संवेदनशील था क्योंकि सांप विषैला था और उसकी एनाटॉमी बेहद नाजुक होती है। डॉक्टरों ने पहले सांप को सामान्य एनेस्थीसिया (बेहोशी) दी, ताकि उसकी हलचल बंद हो सके। इसके बाद सड़ी हुई आंत को अत्यंत सावधानीपूर्वक अलग किया गया। सबसे चुनौतीपूर्ण चरण था आंत को उसकी सही जगह पर वापस स्थापित करना और घाव को बंद करना, जो सटीकता और अनुभव की मांग करता था।
वन्यजीव विभाग ने उपचार के लिए सौंपा
नियमों के अनुसार, पशुपालन विभाग सीधे जंगली जानवरों का इलाज नहीं कर सकता। इसलिए मामले की जानकारी वन्यजीव विभाग को दी गई। विभाग के निरीक्षक देवेन्द्र हुड्डा ने बताया कि विभाग के कर्मचारियों ने सांप को अपने कब्जे में लिया और उपचार के लिए पशु चिकित्सकों को सौंपा। इलाज के बाद सांप को कुछ समय निगरानी में रखा गया और स्वस्थ होने पर जंगल में छोड़ दिया गया। सांप का इलाज पशुपालन विभाग के डॉक्टरों ने किया और सफल उपचार के बाद उसे भी सुरक्षित जंगल में छोड़ा गया।
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