नई दिल्ली: देश की राजधानी दिल्ली से लगभग 250 किलोमीटर दूर, हरियाणा में ठीकठाक आबादी वाला एक इलाका है पंचकूला। इसी पंचकूला के सेक्टर 27 में रहने वाले पुनीत राणा सोमवार की रात खाना खाने के बाद अपने घर के आसपास टहल रहे थे। रात के लगभग 10 बजे का वक्त रहा होगा। ज्यादातर घरों के बाहर अंधेरा था। तभी उनकी नजर एक खाली प्लॉट में खड़ी कार पर पड़ती है। कार की एक खिड़की से बाहर की तरफ, एक तौलिया भी लटका हुआ था। पुनीत का माथा ठनकता है और वे दबे कदमों से कार के करीब जाते हैं।नजदीक पहुंचकर जैसे ही पुनीत टॉर्च जलाकर कार के अंदर देखने की कोशिश करते हैं, उनके पैरों तले से जमीन खिसक जाती है। कार के भीतर 6 लोग बेसुध पड़े हुए थे। हैरान-परेशान पुनीत की नजर अब ड्राइविंग सीट पर जाती है। वहां बैठे 7वें शख्स की सांसें अभी चल रहीं थी। पुनीत उससे कुछ पूछ पाते, इससे पहले ही वह कहता है कि उसके ऊपर भारी कर्ज है और 5 मिनट में उसकी भी मौत हो जाएगी।पुनीत शोर मचाकर आसपास के लोगों को बुलाते हैं। पुलिस को भी खबर दी जाती है। आनन-फानन में सातों लोगों को हॉस्पिटल पहुंचाया जाता है, जहां पता चलता है कि 6 की मौत पहले ही हो चुकी है। 7वें शख्स को बचाने की कोशिश होती है, लेकिन कुछ देर बाद वह भी दम तोड़ देता है। 7 लोगों की मौत से इलाके में हड़कंप मच जाता है। कई सवाल भी लोगों की जुबां पर घूमने लगते हैं। क्या थी ये पूरी कहानी?आखिर ये सात लोग कौन थे? कार के भीतर उनकी मौत कैसे हुई? क्या इन लोगों ने खुद अपनी जान ली या फिर किसी ने उनकी हत्या की? पुलिस मामले की पड़ताल करती है। शुरुआती संकेत इसी बात के मिलते हैं कि ये सभी एक ही परिवार के सदस्य थे और उन्होंने खुद जहर खाकर अपनी जान ली। लेकिन, कुछ ऐसे सवाल भी थे जो इस थ्योरी से अलग कहानी बयां कर रहे थे। सबसे पहले जानते हैं कि ये परिवार कौन था?गाड़ी के अंदर जिन सात लोगों की लाशें मिलीं, वह प्रवीण मित्तल का परिवार था। मृतकों में 41 वर्षीय प्रवीण, उनकी पत्नी, माता-पाता और तीन बच्चे शामिल थे। बेटे की उम्र 14 और जुड़वां बेटियां 12-12 साल की थीं। पुलिस को कार के अंदर से एक चिट्टी भी मिलती है। बताया जाता है कि इस चिट्ठी पर प्रवीण मित्तल के हस्ताक्षर हैं। चिट्ठी में लिखा है कि इन मौतों के लिए कोई जिम्मेदार नहीं, वे आर्थिक नुकसान के कारण यह कदम उठा रहे हैं। बिजनेस में घाटा, बढ़ता गया कर्जपुलिस जांच में पता चलता है कि प्रवीण मित्तल हरियाणा के हिसार के रहने वाले थे। साल 2007-08 में परिवार पंचकूला में शिफ्ट हुआ और प्रवीण ने बैंक से लोन लेकर स्क्रैप की एक फैक्टरी लगाई। हालांकि, बिजनेस में घाटा हुआ और प्रवीण के ऊपर करोड़ो रुपये का कर्ज चढ़ गया। कुछ वक्त बाद वह पंचकूला में अपनी प्रॉपर्टी छोड़कर देहरादून शिफ्ट हो गए। उनकी प्रॉपर्टी और गाड़ी को बैंक ने जब्त कर लिया।देहरादून आकर प्रवीण ने टूर एंड ट्रैवल्स का बिजनेस शुरू किया। लेकिन, ये बिजनेस भी कुछ खास नहीं चला और प्रवीण के ऊपर कर्जदारों का दबाव बढ़ने लगा। जब कोई रास्ता नहीं सूझा तो प्रवीण अपने परिवार के साथ वापस पंचकूला आ गए और एक किराए का घर लेकर रहने लगे। परिवार से जुड़े लोगों का कहना है कि कर्जदार लगातार उन्हें परेशान कर रहे थे और इसीलिए प्रवीण ने पहले परिवार को खत्म किया और फिर अपनी जान दे दी। मामले में उठ रहे हैं सात सवालहालांकि, इस पूरी कहानी में कुछ सवाल भी हैं। पहला सवाल प्रवीण मित्तल के भतीजे ने उठाया है। उनका कहना है कि 2007-08 में प्रवीण के ऊपर बैंक का भारी कर्ज था, कहीं से कोई उम्मीद नहीं थी, इसके बावजूद उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। फिर अब ऐसा कदम क्यों उठाया? उनका दूसरा सवाल है कि अभी कुछ दिन पहले ही परिवार के शादी समारोह में शामिल होने आए प्रवीण काफी खुश थे। फिर अचानक ऐसा क्या हुआ कि पूरे परिवार ने अपनी जान दे दी।प्रवीण के भतीजे ने कुछ दिन पहले उनसे फोन पर बात भी की थी, तब भी ऐसा कोई संकेत नहीं मिला कि वह परेशान हैं। भतीजे का सवाल है कि आखिर चंद दिनों में ऐसा क्या हो गया? मामले में चौथा सवाल प्रवीण मित्तल के ससुर राकेश गुप्ता ने उठाया है। उनका कहना है कि उन्होंने अपने दामाद की हर तरह से मदद की, लेकिन इसके बावजूद उन्हें धोखा मिला। मदद करने के बावजूद दामाद ने उनकी बटी की हत्या कर दी। आखिर राकेश किस धोखे की बात कर रहे हैं? दिनभर कहां रहा पूरा परिवार?देहरादून से वापस आने के बाद प्रवीण अपने परिवार के साथ पंचकूला में किराए के मकान में रह रहे थे। सोमवार सुबह उन्होंने मकान मालिक से कहा कि वो तीन दिन के लिए घूमने बाहर जा रहे हैं। हालांकि, वे कहां जा रहे हैं, इस बात की जानकारी नहीं दी। अगली सुबह मकान मालिक को उनकी मौत की खबर मिली। अब सवाल है कि पूरा परिवार आखिर दिनभर कहां था? क्या इस बीच में किसी का गुमनाम फोन आया, जिसके बाद उन्होंने यह कदम उठाया।एक बड़ा सवाल ये भी है कि क्या पूरा परिवार घर से अपनी जान देने का फैसला करके निकला था? मामले में सातवां सवाल यह उभरता है कि अगर प्रवीण के ससुर उसकी मदद कर रहे थे और इसके बावजूद वह कर्ज से परेशान था तो उसने बच्चों की जान क्यों ली? वह बच्चों को अपने ससुराल में भी छोड़ सकता था। इस मामले में पुलिस अब विसरा रिपोर्ट का इंतजार कर रही है। पुलिस का कहना है कि विसरा रिपोर्ट आने के बाद ही मामले की तह तक पहुंचा जा सकेगा।
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