नई दिल्ली: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को 'द्रोणाचार्यों' की तलाश है। वह चाहते हैं कि विदेशी कंपनियां जब अमेरिका में पैसा लगाएं तो अपने सबसे एक्सपर्ट लोगों को भी लाएं। ये एक्सपर्ट अमेरिकी वर्कर्स को सिखाएं कि सेमीकंडक्टर, जहाज और हाई-टेक मशीनें कैसे बनाते हैं। इनके जरिये ट्रंप अमेरिका की थक रही अर्थव्यवस्था को टॉनिक देना चाहते हैं।
ट्रंप ने सोशल मीडिया पर कहा कि अमेरिका को ये सब फिर से सीखना होगा। उन्होंने विदेशी निवेश के लिए नया तरीका बताया है। इसमें सिर्फ पैसा नहीं, बल्कि जानकारी भी शामिल होनी चाहिए। ट्रंप चाहते हैं कि विदेशी कंपनियां अपने सबसे अच्छे इंजीनियरों और टेक्नीशियन को अमेरिका लाएं ताकि वे अमेरिकियों को सिखा सकें। इससे अमेरिका फिर से इंडस्ट्रियल पावर बन जाए। ट्रंप के अनुसार, कई कंपनियां टैरिफ से बचने और अमेरिकी नीतियों का फायदा उठाने के लिए पहले से ही अमेरिका आ रही हैं।
भारत कर सकता है बड़ी मदद
इस मामले में भारत अमेरिका की बड़ी मदद कर सकता है। भारत में दुनिया के सबसे बड़े और सबसे कुशल इंजीनियरों, वैज्ञानिकों और तकनीकी एक्सपर्ट्स का पूल मौजूद है। दशकों से भारतीय पेशेवर अमेरिकी अर्थव्यवस्था, विशेष रूप से प्रौद्योगिकी और इंजीनियरिंग क्षेत्रों में अपनी विशेषज्ञता का योगदान देते रहे हैं।
डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि जब विदेशी कंपनियां अमेरिका में बड़ा निवेश करें तो वे अपने एक्सपर्ट लोगों को साथ लाएं। ये लोग अमेरिकी वर्कर्स को सिखाएंगे कि खास और मुश्किल चीजें कैसे बनाते हैं। ट्रंप ने कहा, 'जब विदेशी कंपनियां अमेरिका में भारी निवेश के साथ आती हैं तो मैं चाहता हूं कि वे अपने विशेषज्ञ लोगों को लाएं... ताकि वे हमारे लोगों को सिखा सकें और प्रशिक्षित कर सकें कि ये बहुत ही अनोखे और जटिल उत्पाद कैसे बनाएं।'
इंडस्ट्रियल पावर बनने की मंशा
राष्ट्रपति ट्रंप ने इस बात पर जोर दिया कि विदेशी टैलेंट के आने से अमेरिका अपनी इंडस्ट्रियल ताकत को फिर से हासिल कर पाएगा। खासकर उन सेक्टरों में जहां वह पीछे रह गया है। उन्होंने कहा, 'हम इसमें बहुत अच्छे थे, लेकिन अब नहीं हैं।' उन्होंने जहाज बनाने का उदाहरण दिया। 'हम एक दिन में एक जहाज बनाते थे। अब हम मुश्किल से एक साल में एक जहाज बनाते हैं।'
ट्रम्प ने कहा कि विदेशी कंपनियों को अपने टॉप इंजीनियरों और टेक्नीशियन को लाने के लिए कहने से निवेश कम नहीं होगा। बल्कि, इससे अमेरिका और भी आकर्षक बनेगा। उन्होंने कहा, "हम उनका स्वागत करते हैं, हम उनके कर्मचारियों का स्वागत करते हैं, और हम गर्व से कहने को तैयार हैं कि हम उनसे सीखेंगे।"
घरेलू मैन्युफैक्चरिंंग को बढ़ावा दे रहा अमेरिका
ट्रंप की ये बातें ऐसे समय में आई हैं जब अमेरिकी सरकार घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने की कोशिश कर रही है। सरकार टैरिफ और इंसेंटिव का इस्तेमाल कर रही है ताकि कंपनियां अमेरिका में फैक्ट्री लगाएं। ट्रंप ने कहा कि चीन, मेक्सिको और कनाडा की ऑटो कंपनियां टैरिफ से बचने और अमेरिकी नीतियों का फायदा उठाने के लिए पहले से ही अमेरिका आ रही हैं।
उन्होंने इस महीने की शुरुआत में कहा था, 'हजारों कंपनियां अमेरिका आ रही हैं... वे यहां बनाना चाहती हैं क्योंकि टैरिफ उन्हें बचा रहे हैं।' ट्रंप का मानना है कि अमेरिका को विदेशी कंपनियों से सीखने में कोई शर्म नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि वे गर्व से कहेंगे कि वे उनसे सीखेंगे। इससे अमेरिका और भी मजबूत होगा। उनका कहना है कि अमेरिका को उन चीजों को फिर से सीखना होगा जिनमें वह कभी अच्छा था।
ट्रंप ने सोशल मीडिया पर कहा कि अमेरिका को ये सब फिर से सीखना होगा। उन्होंने विदेशी निवेश के लिए नया तरीका बताया है। इसमें सिर्फ पैसा नहीं, बल्कि जानकारी भी शामिल होनी चाहिए। ट्रंप चाहते हैं कि विदेशी कंपनियां अपने सबसे अच्छे इंजीनियरों और टेक्नीशियन को अमेरिका लाएं ताकि वे अमेरिकियों को सिखा सकें। इससे अमेरिका फिर से इंडस्ट्रियल पावर बन जाए। ट्रंप के अनुसार, कई कंपनियां टैरिफ से बचने और अमेरिकी नीतियों का फायदा उठाने के लिए पहले से ही अमेरिका आ रही हैं।
भारत कर सकता है बड़ी मदद
इस मामले में भारत अमेरिका की बड़ी मदद कर सकता है। भारत में दुनिया के सबसे बड़े और सबसे कुशल इंजीनियरों, वैज्ञानिकों और तकनीकी एक्सपर्ट्स का पूल मौजूद है। दशकों से भारतीय पेशेवर अमेरिकी अर्थव्यवस्था, विशेष रूप से प्रौद्योगिकी और इंजीनियरिंग क्षेत्रों में अपनी विशेषज्ञता का योगदान देते रहे हैं।
डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि जब विदेशी कंपनियां अमेरिका में बड़ा निवेश करें तो वे अपने एक्सपर्ट लोगों को साथ लाएं। ये लोग अमेरिकी वर्कर्स को सिखाएंगे कि खास और मुश्किल चीजें कैसे बनाते हैं। ट्रंप ने कहा, 'जब विदेशी कंपनियां अमेरिका में भारी निवेश के साथ आती हैं तो मैं चाहता हूं कि वे अपने विशेषज्ञ लोगों को लाएं... ताकि वे हमारे लोगों को सिखा सकें और प्रशिक्षित कर सकें कि ये बहुत ही अनोखे और जटिल उत्पाद कैसे बनाएं।'
इंडस्ट्रियल पावर बनने की मंशा
राष्ट्रपति ट्रंप ने इस बात पर जोर दिया कि विदेशी टैलेंट के आने से अमेरिका अपनी इंडस्ट्रियल ताकत को फिर से हासिल कर पाएगा। खासकर उन सेक्टरों में जहां वह पीछे रह गया है। उन्होंने कहा, 'हम इसमें बहुत अच्छे थे, लेकिन अब नहीं हैं।' उन्होंने जहाज बनाने का उदाहरण दिया। 'हम एक दिन में एक जहाज बनाते थे। अब हम मुश्किल से एक साल में एक जहाज बनाते हैं।'
ट्रम्प ने कहा कि विदेशी कंपनियों को अपने टॉप इंजीनियरों और टेक्नीशियन को लाने के लिए कहने से निवेश कम नहीं होगा। बल्कि, इससे अमेरिका और भी आकर्षक बनेगा। उन्होंने कहा, "हम उनका स्वागत करते हैं, हम उनके कर्मचारियों का स्वागत करते हैं, और हम गर्व से कहने को तैयार हैं कि हम उनसे सीखेंगे।"
घरेलू मैन्युफैक्चरिंंग को बढ़ावा दे रहा अमेरिका
ट्रंप की ये बातें ऐसे समय में आई हैं जब अमेरिकी सरकार घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने की कोशिश कर रही है। सरकार टैरिफ और इंसेंटिव का इस्तेमाल कर रही है ताकि कंपनियां अमेरिका में फैक्ट्री लगाएं। ट्रंप ने कहा कि चीन, मेक्सिको और कनाडा की ऑटो कंपनियां टैरिफ से बचने और अमेरिकी नीतियों का फायदा उठाने के लिए पहले से ही अमेरिका आ रही हैं।
उन्होंने इस महीने की शुरुआत में कहा था, 'हजारों कंपनियां अमेरिका आ रही हैं... वे यहां बनाना चाहती हैं क्योंकि टैरिफ उन्हें बचा रहे हैं।' ट्रंप का मानना है कि अमेरिका को विदेशी कंपनियों से सीखने में कोई शर्म नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि वे गर्व से कहेंगे कि वे उनसे सीखेंगे। इससे अमेरिका और भी मजबूत होगा। उनका कहना है कि अमेरिका को उन चीजों को फिर से सीखना होगा जिनमें वह कभी अच्छा था।
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