नई दिल्ली: दिल्ली की हवा अब सिर्फ सांसों के लिए नहीं, बल्कि जीवन और लाइफस्टाइल के लिए भी खतरा बन चुकी है। लोग इस दमघोंदू हवा में सांस लेने के लिए मजबूर हैं। इसी गंभीर मुद्दे पर अब दिल्ली सरकार के राजीव गांधी सुपर स्पेशिएलिटी अस्पताल की ओर से एक रिसर्च शुरू होने वाली है। जिसमें दिल्ली की खराब हवा लोगों के फेफड़े को कितना प्रभावित कर रही है। इस पर रिचर्स की जाएगी।
रिसर्च में हर आयु वर्ग पर पूरा फोकस
आपको बता दें कि ये रिसर्च जो दो साल तक चलेगी। इसमें हर आयु के मरीज और उनके जीवन शैली के आधार पर फोकस किया जाएगा। राजीव गांधी सुपर स्पेशिएलिटी अस्पताल के डॉ. बीके स्वर्णकार ने बताया कि दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण की वजह से फेफड़ों के मरीजों की सेहत पर क्या असर पड़ता है और इससे उनके आर्थिक जीवन पर कितना बोझ बढ़ता है। इस पर एक रिसर्च होने वाली है।
क्यों हो रही ये रिसर्च
राजीव गांधी सुपर स्पेशिएलिटी अस्पताल के डॉ. बीके स्वर्णकार ने बताया कि इसके लिए डॉक्टरों की एक टीम भी गठित हो चुकी है। जो जल्द ही इस पर अपना शोध शुरू करेगी। दरअसल, अस्पताल में हर कैटेगिरी के मरीज फेफड़ों की समस्या को लेकर इलाज कराने आते हैं। इसमें स्मोकर से लेकर नॉन स्मोकर सब होते हैं। कुछ मरीजों में यह भी देखने को मिला है कि वह किसी प्रकार का धूम्रपान नहीं करते हैं। इसके बावजूद उन्हें लंग्स की समस्या है, उन्हें सांस लेने में दिक्कत है। इसके पीछे का कारण प्रदूषण ही है।
रिसर्च में हर आयु वर्ग पर पूरा फोकस
आपको बता दें कि ये रिसर्च जो दो साल तक चलेगी। इसमें हर आयु के मरीज और उनके जीवन शैली के आधार पर फोकस किया जाएगा। राजीव गांधी सुपर स्पेशिएलिटी अस्पताल के डॉ. बीके स्वर्णकार ने बताया कि दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण की वजह से फेफड़ों के मरीजों की सेहत पर क्या असर पड़ता है और इससे उनके आर्थिक जीवन पर कितना बोझ बढ़ता है। इस पर एक रिसर्च होने वाली है।
क्यों हो रही ये रिसर्च
राजीव गांधी सुपर स्पेशिएलिटी अस्पताल के डॉ. बीके स्वर्णकार ने बताया कि इसके लिए डॉक्टरों की एक टीम भी गठित हो चुकी है। जो जल्द ही इस पर अपना शोध शुरू करेगी। दरअसल, अस्पताल में हर कैटेगिरी के मरीज फेफड़ों की समस्या को लेकर इलाज कराने आते हैं। इसमें स्मोकर से लेकर नॉन स्मोकर सब होते हैं। कुछ मरीजों में यह भी देखने को मिला है कि वह किसी प्रकार का धूम्रपान नहीं करते हैं। इसके बावजूद उन्हें लंग्स की समस्या है, उन्हें सांस लेने में दिक्कत है। इसके पीछे का कारण प्रदूषण ही है।
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