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क्या आप सच में अपने दिमाग के मालिक हैं या बस उसके गुलाम

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अक्सर हम यह मानकर चलते हैं कि हम और हमारा दिमाग एक ही हैं। लेकिन क्या आपने कभी गहराई से समझा है कि क्या वाकई आप अपने दिमाग को नियंत्रित करते हैं, या दिमाग ही आपको चला रहा है। सच्चाई यह है कि आप और आपका दिमाग दो अलग-अलग चीजें हैं, जिसे हर कोई जल्दी स्वीकार नहीं कर पाएगा।



अधिकतर लोग अपने दिमाग के कहे अनुसार ही जीवन जीते हैं। दिमाग जो सोचता है, हम वही करते हैं। हम यह समझ ही नहीं पाते कि दिमाग हमारा सेवक है, लेकिन हम उसे ही अपना मालिक बना बैठे हैं। दिमाग पर अक्सर ग्रह-नक्षत्रों का प्रभाव सिर चढ़कर बोलता है, जिसके कारण व्यक्ति खराब समय में गलत निर्णय लेकर बाद में पछताता है। दिमाग हमारे अनुभवों, आशंकाओं और इच्छाओं का खेल रचता है और हम उसके इशारों पर नाचते रहते हैं।



दिमाग कभी वर्तमान में नहीं रहता, वह या तो अतीत में हुई घटनाओं को दोहराता रहता है या भविष्य की अन्जानी कल्पनाओं में खोया रहता है। आपका दिमाग, पांच इंद्रियों, देखने, सुनने, सूंघने, चखने और छूने से निरंतर जानकारी एकत्र करता है और उन्हें अनुभव के रूप में संग्रहित करता जाता है। यही अनुभव बाद में विचारों में बदल जाते हैं। दुखद या अप्रिय अनुभव दिमाग में गहरे और स्पष्ट रूप से दर्ज हो जाते हैं, जिसके कारण वे बार-बार उभरते हैं और हमारी मानसिक शांति को भंग करते हैं।



हमारा दिमाग एक हार्ड ड्राइव की तरह है, यह सब कुछ रिकॉर्ड करता है, जब ये जानकारियां बार-बार मंथन होती हैं, तो विचारों की श्रृंखला शुरू हो जाती है और ये विचार आपको खुशी देने के बजाय अक्सर चिंता, भय और पीड़ा से भर देते हैं।



दिमाग की इस चाल के प्रति जागरूक होना अत्यंत आवश्यक है। यौगिक क्रियाओं द्वारा जब आप अपने विचारों को ‘देखने’ लगते हैं, एक साक्षी भाव से, तब आप समझते हैं कि आप दिमाग नहीं हैं, बल्कि वह चेतना हैं जो दिमाग का उपयोग कर सकती है, इसे समझना कठिन है, परन्तु यही वह मोड़ है जब आप गुलाम से मालिक बनते हैं। अगर आप चाहते हैं, जीवन में तरक्की करना या आप चाहते हैं कि अनिष्ट ग्रहों का प्रभाव आपके सिर चढ़कर न बोले, यानि अनिष्ट ग्रहों के प्रभाव से आपके निर्णय गलत न हो जाऐं, तो आप ग्रह-नक्षत्रों के उपाय के साथ आध्यात्मिक साधना प्रारम्भ करें और अपने जीवन में बदलाव देखें।

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