नई दिल्ली: भारत का गगनयान मिशन अब अंतिम तैयारियों की ओर बढ़ रहा है। इस मिशन के लिए चुने गए चार भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों में से एक हैं वायुसेना के टेस्ट पायलट कैप्टन शुभांशु शुक्ला, जो Axiom Space के मिशन के तहत अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन (ISS) पर वैज्ञानिक प्रयोग के लिए गए हैं। ये प्रयोग सीधे तौर पर भारत के गगनयान मिशन में मदद करेंगे, क्योंकि गगनयान सिर्फ एक मिशन नहीं, बल्कि भारत की अंतरिक्ष यात्रा का नया अध्याय होने जा रहा है। ऐसे में उनकी रिसर्च से भारत को क्या फायदा होगा?
1. अंतरिक्ष में फसल उगानाअंतरिक्ष में भारतीय सुपरफूड जैसे मूंग और मेथी उगाने का प्रयोग करेंगे। इसका मकसद यह समझना है कि गुरुत्वाकर्षण के बिना बीज कैसे अंकुरित होते हैं और पौधे कैसे बढ़ते हैं। इससे गगनयान जैसे लंबे मिशनों में स्पेस फूड सिस्टम तैयार करने में मदद मिलेगी। साथ ही, उन पौधों की पहचान भी होगी जो चंद्रमा या मंगल पर उगाए जा सकते हैं।
2. मांसपेशियों की ताकत और शरीर की सेहतअंतरिक्ष में जीरो ग्रैविटी की वजह से इंसानी शरीर तेजी से कमजोर होता है। शुभांशु वहां यह देखेंगे कि मांसपेशिया और कोशिकाएं (Cells) कैसे बदलती हैं। यह जानकारी गगनयान के यात्रियों को फिट रखने और उनकी सेहत की निगरानी के लिए बेहद जरूरी होगी।
3. दिमागी सेहत और स्क्रीन को देखने का क्या असर?स्पेस में लंबे समय तक काम करते समय मनोबल और एकाग्रता बनाए रखना चुनौती होता है। रिसर्च करेंगे कि लगातार स्क्रीन देखने से दिमाग और व्यवहार पर क्या असर होता है। अंतरिक्ष यात्रियों के लिए मानसिक और कामकाज का माहौल बनाने में मदद करेगा।
4. बैक्टीरिया और जीवन समर्थन सिस्टमअंतरिक्ष में बैक्टीरिया के व्यवहार और खाने योग्य शैवाल (algae) उगाने की कोशिश की जाएगी। शैवाल प्रोटीन से भरपूर होता है और कम जगह में उगाया जा सकता है। इस रिसर्च से गगनयान में एयर - पानी को शुद्ध रखने और पोषण देने वाले सिस्टम विकसित किए जाएंगे।
1. अंतरिक्ष में फसल उगानाअंतरिक्ष में भारतीय सुपरफूड जैसे मूंग और मेथी उगाने का प्रयोग करेंगे। इसका मकसद यह समझना है कि गुरुत्वाकर्षण के बिना बीज कैसे अंकुरित होते हैं और पौधे कैसे बढ़ते हैं। इससे गगनयान जैसे लंबे मिशनों में स्पेस फूड सिस्टम तैयार करने में मदद मिलेगी। साथ ही, उन पौधों की पहचान भी होगी जो चंद्रमा या मंगल पर उगाए जा सकते हैं।
2. मांसपेशियों की ताकत और शरीर की सेहतअंतरिक्ष में जीरो ग्रैविटी की वजह से इंसानी शरीर तेजी से कमजोर होता है। शुभांशु वहां यह देखेंगे कि मांसपेशिया और कोशिकाएं (Cells) कैसे बदलती हैं। यह जानकारी गगनयान के यात्रियों को फिट रखने और उनकी सेहत की निगरानी के लिए बेहद जरूरी होगी।
3. दिमागी सेहत और स्क्रीन को देखने का क्या असर?स्पेस में लंबे समय तक काम करते समय मनोबल और एकाग्रता बनाए रखना चुनौती होता है। रिसर्च करेंगे कि लगातार स्क्रीन देखने से दिमाग और व्यवहार पर क्या असर होता है। अंतरिक्ष यात्रियों के लिए मानसिक और कामकाज का माहौल बनाने में मदद करेगा।
4. बैक्टीरिया और जीवन समर्थन सिस्टमअंतरिक्ष में बैक्टीरिया के व्यवहार और खाने योग्य शैवाल (algae) उगाने की कोशिश की जाएगी। शैवाल प्रोटीन से भरपूर होता है और कम जगह में उगाया जा सकता है। इस रिसर्च से गगनयान में एयर - पानी को शुद्ध रखने और पोषण देने वाले सिस्टम विकसित किए जाएंगे।
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