भुवनेश्वर: ओडिशा सरकार के स्वास्थ्य विभाग की एक गंभीर प्रशासनिक चूक सामने आई है, जिसने विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। राउरकेला के एक सरकारी डॉक्टर डॉ. स्मृति रंजन सामल की मौत दो महीने पहले हो चुकी थी। उन्हें हाल ही में स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी एक आदेश में पदोन्नति और स्थानांतरण दे दिया गया। यह मामला सामने आने के बाद स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही की व्यापक आलोचना हो रही है।
डॉ. स्मृति रंजन सामल की उम्र 46 वर्ष थी। वोसुंदरगढ़ जिले के एक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में ब्लॉक पब्लिक हेल्थ ऑफिसर के पद पर कार्यरत थे। उनका निधन 6 अप्रैल को एक अस्पताल में हो गया था। इसके बावजूद, 20 जून को स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी एक ट्रांसफर और प्रमोशन सूची में उनका नाम शामिल किया गया। इस सूची में उन्हें ट्यूबरक्लोसिस (टीबी) के एडिशनल पब्लिक हेल्थ ऑफिसर के पद पर पदोन्नत कर सुंदरगढ़ जिला अस्पताल स्थानांतरित करने का आदेश जारी किया गया।
अधिकारियों ने क्या कहा
इस मामले को लेकर जब जिला प्रमुख चिकित्सा अधिकारी (सीडीएमओ) गुरु महंता से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि डॉ. सामल के निधन की जानकारी समय पर स्वास्थ्य विभाग को भेज दी गई थी। हालांकि, ऐसा प्रतीत होता है कि यह सूचना या तो विभागीय पत्राचार में खो गई या अधिकारियों ने उस पर उचित ध्यान नहीं दिया। उन्होंने माना कि यह एक प्रशासनिक चूक है जिसकी जांच की जानी चाहिए।
उठ रहे ये सवाल
यह मामला ऐसे समय में सामने आया है जब ओडिशा के कुछ हिस्सों में हैजा (cholera) फैलने की खबरें आ रही हैं और स्वास्थ्य विभाग पहले से ही सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर दबाव में है। इस स्थिति में एक मृत डॉक्टर को प्रमोशन और तबादला देना न सिर्फ गंभीर लापरवाही को दर्शाता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि विभाग के रिकॉर्ड प्रबंधन में कितनी खामियां हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों और आम जनता ने इस घटना को बेहद चिंताजनक बताते हुए कहा है कि ऐसी घटनाएं स्वास्थ्य सेवाओं की विश्वसनीयता पर असर डालती हैं। स्वास्थ्य विभाग ने फिलहाल इस मामले पर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है, लेकिन उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही इस चूक को लेकर स्पष्टीकरण दिया जाएगा और जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई की जाएगी।
डॉ. स्मृति रंजन सामल की उम्र 46 वर्ष थी। वोसुंदरगढ़ जिले के एक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में ब्लॉक पब्लिक हेल्थ ऑफिसर के पद पर कार्यरत थे। उनका निधन 6 अप्रैल को एक अस्पताल में हो गया था। इसके बावजूद, 20 जून को स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी एक ट्रांसफर और प्रमोशन सूची में उनका नाम शामिल किया गया। इस सूची में उन्हें ट्यूबरक्लोसिस (टीबी) के एडिशनल पब्लिक हेल्थ ऑफिसर के पद पर पदोन्नत कर सुंदरगढ़ जिला अस्पताल स्थानांतरित करने का आदेश जारी किया गया।
अधिकारियों ने क्या कहा
इस मामले को लेकर जब जिला प्रमुख चिकित्सा अधिकारी (सीडीएमओ) गुरु महंता से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि डॉ. सामल के निधन की जानकारी समय पर स्वास्थ्य विभाग को भेज दी गई थी। हालांकि, ऐसा प्रतीत होता है कि यह सूचना या तो विभागीय पत्राचार में खो गई या अधिकारियों ने उस पर उचित ध्यान नहीं दिया। उन्होंने माना कि यह एक प्रशासनिक चूक है जिसकी जांच की जानी चाहिए।
यह मामला ऐसे समय में सामने आया है जब ओडिशा के कुछ हिस्सों में हैजा (cholera) फैलने की खबरें आ रही हैं और स्वास्थ्य विभाग पहले से ही सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर दबाव में है। इस स्थिति में एक मृत डॉक्टर को प्रमोशन और तबादला देना न सिर्फ गंभीर लापरवाही को दर्शाता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि विभाग के रिकॉर्ड प्रबंधन में कितनी खामियां हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों और आम जनता ने इस घटना को बेहद चिंताजनक बताते हुए कहा है कि ऐसी घटनाएं स्वास्थ्य सेवाओं की विश्वसनीयता पर असर डालती हैं। स्वास्थ्य विभाग ने फिलहाल इस मामले पर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है, लेकिन उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही इस चूक को लेकर स्पष्टीकरण दिया जाएगा और जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई की जाएगी।
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