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स्कूलों-पैरंट्स के बीच असमंजस के लिए शिक्षा विभाग जिम्मेदारः दिल्ली हाई कोर्ट

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नई दिल्लीः दिल्ली हाई कोर्ट ने प्राइवेट स्कूलों में फीस बढ़ोतरी के मुद्दे पर कहा कि स्कूलों और पैरंट्स के बीच इस मामले पर असमंजस के लिए शिक्षा विभाग जिम्मेदार है। कोर्ट ने कहा, 'यह सब इसलिए है क्योंकि शिक्षा विभाग मॉडर्न स्कूल के संबंध में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर अमल करने में नाकाम रहा। कोर्ट ने इस मामले में अपना फैसला सोमवार को सुरक्षित रख लिया।



अपीलों पर कर रही थी सुनवाई

चीफ जस्टिस देवेंद्र कुमार उपाध्याय की बेंच अपनी सिंगल बेंच के फैसले के खिलाफ शिक्षा निदेशालय की अपीलों पर सुनवाई कर रही थी। सिंगल बेंच ने फैसले में कहा था कि शिक्षा निदेशालय यह साबित नहीं कर पाया कि दोनों स्कूल व्यावसायीकरण या मुनाफाखोरी में शामिल थे। दिल्ली सरकार ने कहा कि प्राइवेट स्कूल खुद को स्वायत्त संस्था मानते है और चाहते हैं कि सरकार उनके कामकाज में दखल न दे।




सरकार ने स्कूलों का पक्ष नहीं सुना कोर्ट

हाई कोर्ट की बेच ने शिक्षा विभाग से सवाल किया कि फीस कैलकुलेशन में रेवेन्यू एक्सपेंस, कैपिटल एक्सपेंडिचर और सैलरी जैसे कंपोनेंट गिने जाते है। विभाग का ऐसा कोई आदेश सामने नहीं आया जो किसी स्कूल में ऐसी किसी गणना को दिखाता हो। आदेश पारित करने से पहले स्कूल को न तो कारण बताओ नोटिस दिया गया और न ही उसका पक्ष सुना गया।

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