हैदराबाद: तेलंगाना के नागर्कर्नूल जिले के डोमलपेंटा गांव में श्रीशैलम लेफ्ट बैंक कैनाल सुरंग की छत ढह गई थी। इस हादसे में कुल आठ लोग दब गए थे। इनमें से छह लोगों के शव अभी तक नहीं मिल पाएं हैं। इस घटना के पांच महीने बाद, तेलंगाना सरकार ने सुरंग को पूरा करने का काम फिर से शुरू कर दिया है।
4,600 करोड़ रुपये खर्च होने का है अनुमान
यह सुरंग 44 किलोमीटर लंबी है और इस पर 4,600 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है। सरकार का लक्ष्य है कि कृष्णा नदी के पानी को श्रीशैलम जलाशय से निकालकर नलगोंडा जिले के चार लाख एकड़ जमीन की सिंचाई के उपयोग के लिए लाया जा सके। साथ ही, रास्ते में पड़ने वाले 516 गांवों को पीने का पानी भी मिल सके। लेकिन 22 फरवरी को काम शुरू होने के चार दिन के अंदर ही सुरंग ढह गई।
सिंचाई मंत्री ने परियोजना का लिया जायजा
सिंचाई मंत्री एन उत्तम कुमार रेड्डी ने एक उच्च-स्तरीय बैठक में परियोजना का जायजा लिया। उन्होंने अधिकारियों को ड्रिलिंग और ब्लास्टिंग सहित बाकी सुरंग बनाने के काम को तुरंत शुरू करने का आदेश दिया। उन्होंने कहा कि श्रीशैलम लेफ्ट बैंक कैनाल के मार्ग को बदलने का काम नेशनल जियोफिजिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट और जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के साथ मिलकर लेटेस्ट इलेक्ट्रोमैग्नेटिक (एनजीआरआई) सर्वे तकनीक का उपयोग करके किया जा रहा है।
बचाव अभियान बंद होने के दो महीने बाद काम शुरूमंत्री ने कहा, "सटीक योजना और सुचारू रूप से काम करने के लिए, हमने अधिकारियों को एरियल लीडार सर्वे में तेजी लाने का निर्देश दिया। हमने सर्वे की तकनीकी बारीकियों को अंतिम रूप देने के लिए एनजीआरआई के वैज्ञानिकों के साथ बैठक की।" लीडार एक रिमोट सेंसिंग तकनीक है जो लेजर का उपयोग करती है। मामले से जुड़े लोगों ने बताया कि यह काम बचाव अभियान बंद होने के लगभग दो महीने बाद फिर से शुरू हो रहा है।
43 मीटर का हिस्सा है सबसे खतरनाक
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि बचाव टीमों ने शवों को निकालने के लिए 3 महीने बहुत कोशिश की, लेकिन 43 मीटर का एक हिस्सा बहुत क्रिटिकल है, इसलिए बचाव कार्य रोक दिया गया। उनके अनुसार, कई विशेष एजेंसियों के इंजीनियरों ने सुरंग का निरीक्षण किया और चेतावनी दी कि यह 43 मीटर का हिस्सा सबसे खतरनाक है। इसे छेड़ने से एक और हादसा हो सकता है। अप्रैल के आखिरी हफ्ते में, भारतीय सेना और नौसेना से बचाव कार्यों में भाग लेने के लिए आए सैन्य बलों को सीमा पर बढ़ते तनाव और 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के कारण वापस बुला लिया गया।
आईएस अधिकारी को रेसक्यू मिशन के लिए किया गया था नियुक्त
वरिष्ठ आईएस अधिकारी शिवशंकर लोथेती, जिन्हें श्रीशैलम लेफ्ट बैंक कैनाल सुरंग में रेसक्यू मिशन का विशेष अधिकारी नियुक्त किया गया था, उन्हें हाई कोर्ट के आदेश के बाद जुलाई की शुरुआत में आंध्र प्रदेश कैडर में वापस भेज दिया गया। इसके बाद सिंगरेनी कोलियरीज और अन्य एजेंसियों की टीमों को भी वापस बुला लिया गया है।
श्रमिकों के शवों को निकालने का नहीं था कोई तरीका
अचमपेट के कांग्रेस एमएलए वामसी कृष्णा चिक्कुडु, जिन्होंने पर्सनली बचाव कार्यों की निगरानी की, उन्होनें बताया कि एसएलबीसी सुरंग दुर्घटना में बचाव अभियान बंद कर दिया गया है। उन्होंने बताया था कि अधिकारियों के पास बचाव अभियान को आगे बढ़ाने और छह श्रमिकों के शवों को निकालने का कोई तरीका नहीं था, इसलिए उन्होंने कुछ महीने पहले ऑपरेशन बंद कर दिया। चिक्कुडु ने कहा कि छह श्रमिकों के परिवार के सदस्यों और रिश्तेदारों को भी सूचित कर दिया गया है कि शवों को निकाला नहीं जा सकता है। सरकार ने लापता व्यक्तियों को मृत घोषित करने की औपचारिकताएं भी पूरी कर लीं हैं और नियमों के अनुसार परिवारों को मुआवजा दिया जाएगा।
काम शुरू होने के चार दिन में ही ढह गई सुरंग
एमएलए ने कहा कि अब ध्यान एसएलबीसी सुरंग परियोजना को पूरा करने के लिए अलग-अलग तरीकों को खोजने पर है, जिससे कि मौजूदा सुरंग मार्ग को बाईपास किया जा सके। नल्लामाला वन क्षेत्र में इनलेट की ओर से केवल 9.6 किलोमीटर सुरंग की ड्रिलिंग बाकी थी। लेकिन इसके बाद 22 फरवरी को काम शुरू होने के चार दिन के अंदर ही सुरंग ढह गई। शनिवार को, उत्तम कुमार रेड्डी ने घोषणा की कि भारतीय सेना के पूर्व इंजीनियर-इन-चीफ जनरल हरपाल सिंह को जल्द ही विभाग की तकनीकी क्षमता और निष्पादन क्षमताओं को मजबूत करने के लिए सलाहकार के रूप में नियुक्त किया जाएगा.
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