इस्लामाबाद: दुनिया भर में अपने आतंकवाद फैलाने वाले इस्लामिक स्टेट (ISIS) के आतंकवादियों के लिए पाकिस्तान सुरक्षित पनाहगाह बन चुका है। पाकिस्तानी अधिकारी भले ही यह दावा करते रहे हैं कि ISIS उनके क्षेत्र में सक्रिय नहीं है, लेकिन हालिया घटनाक्रम साफ बताते हैं कि इस्लामिक स्टेट खुरासान (ISIS-K) को न सिर्फ पाकिस्तान में पनाह मिली है, बल्कि यह सक्रिय नेटवर्क बनाए हुए है। पेशावर शहर में ISIS-K के शीर्ष कमांडर की हत्या ने पाकिस्तान की पोल खोल दी है। इस हत्या ने पाकिस्तान की जमीन पर मौजूदगी और गतिविधियों को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं।
दरअसल पाकिस्तान की सेना इस समय टीटीपी की चुनौती से जूझ रही है। ऐसे में अफगान तालिबान और टीटीपी से मुकाबला करने के लिए पाकिस्तानी सैन्य नेतृत्व आईएसआईएस के आतंकियों को पाल रहा है। हाल ही में पेशावर में समूह के एक सदस्य की हत्या कर दी गई थी। अफगान मीडिया आउटलेट टोलो न्यूज ने सुरक्षा सूत्रों के हवाले से बताया कि नुसरत ISIS-K के प्रमुख सदस्यों में से एक था। उसे पहलवान मूसा और अबू जार के नाम से भी जाना जाता था।
काबुल में हमले के लिए था जिम्मेदार
रिपोर्ट के अनुसार, पहलवान मूसा ने 2022 और 2023 के दौरान काबुल में हमलों की योजना बनाने में भूमिका निभाई। वह पाकिस्तान में इस्लामिक स्टेट खुरासान के पहलवान धड़े का नेतृत्व कर रहा था। पहलवान की हत्या से साफ हो गया है कि पाकिस्तान अपनी जमीन पर आतंकवादी समूहों को प्रशिक्षित करता रहा है और अपने हितों को साधने के लिए पड़ोसी देशों में भेजता रहा है।
अफगानिस्तान के लिए अमेरिका के पूर्व विशेष दूत जल्मे खलीलजाद ने भी पुष्टि की है कि काबुल में हमलों की साजिश रचने वाले ISIS-K के एक प्रमुख सदस्य को पेशावर में मार गिराया गया है। खलीलजाद ने बार-बार पाकिस्तान से आईएसआईएस-के को पनाह न देने की अपील की है। सैन्य विशेषज्ञों का कहना है कि ISIS का खतरा अफगानिस्तान की सीमाओं तक ही नहीं, बल्कि क्षेत्रीय स्तर पर भी फैला हुआ है।
पाकिस्तान बन रहा ISIS का केंद्र
विश्लेषकों का कहना है कि समूह को पूरी तरह से खत्म करने के लिए वास्तविक क्षेत्रीय सहयोग जरूरी है। टोलो न्यूज ने एक राजनीतिक विश्लेषक अजीज मारेज के हवाले से कहा कि यह सच्चाई है कि पाकिस्तान इस क्षेत्र में आतंकवाद को उत्पादक है। एक अन्य विश्लेषक ने कहा, पाकिस्तान में ISIS के वरिष्ठ नेताओं की हत्या दिखाती है कि इस्लामाबाद इस समूह का समर्थन करता है और इसके प्रशिक्षण केंद्र पाकिस्तानी क्षेत्र में स्थित हैं। पाकिस्तान में ISIS कमांडर की हत्या का ये पहला मामला नहीं है। हाल के वर्षों में क्वेटा, कराची और पेशावर में समूह के कई प्रमुख सदस्यों को निशाना बनाया गया है।
दरअसल पाकिस्तान की सेना इस समय टीटीपी की चुनौती से जूझ रही है। ऐसे में अफगान तालिबान और टीटीपी से मुकाबला करने के लिए पाकिस्तानी सैन्य नेतृत्व आईएसआईएस के आतंकियों को पाल रहा है। हाल ही में पेशावर में समूह के एक सदस्य की हत्या कर दी गई थी। अफगान मीडिया आउटलेट टोलो न्यूज ने सुरक्षा सूत्रों के हवाले से बताया कि नुसरत ISIS-K के प्रमुख सदस्यों में से एक था। उसे पहलवान मूसा और अबू जार के नाम से भी जाना जाता था।
काबुल में हमले के लिए था जिम्मेदार
रिपोर्ट के अनुसार, पहलवान मूसा ने 2022 और 2023 के दौरान काबुल में हमलों की योजना बनाने में भूमिका निभाई। वह पाकिस्तान में इस्लामिक स्टेट खुरासान के पहलवान धड़े का नेतृत्व कर रहा था। पहलवान की हत्या से साफ हो गया है कि पाकिस्तान अपनी जमीन पर आतंकवादी समूहों को प्रशिक्षित करता रहा है और अपने हितों को साधने के लिए पड़ोसी देशों में भेजता रहा है।
अफगानिस्तान के लिए अमेरिका के पूर्व विशेष दूत जल्मे खलीलजाद ने भी पुष्टि की है कि काबुल में हमलों की साजिश रचने वाले ISIS-K के एक प्रमुख सदस्य को पेशावर में मार गिराया गया है। खलीलजाद ने बार-बार पाकिस्तान से आईएसआईएस-के को पनाह न देने की अपील की है। सैन्य विशेषज्ञों का कहना है कि ISIS का खतरा अफगानिस्तान की सीमाओं तक ही नहीं, बल्कि क्षेत्रीय स्तर पर भी फैला हुआ है।
पाकिस्तान बन रहा ISIS का केंद्र
विश्लेषकों का कहना है कि समूह को पूरी तरह से खत्म करने के लिए वास्तविक क्षेत्रीय सहयोग जरूरी है। टोलो न्यूज ने एक राजनीतिक विश्लेषक अजीज मारेज के हवाले से कहा कि यह सच्चाई है कि पाकिस्तान इस क्षेत्र में आतंकवाद को उत्पादक है। एक अन्य विश्लेषक ने कहा, पाकिस्तान में ISIS के वरिष्ठ नेताओं की हत्या दिखाती है कि इस्लामाबाद इस समूह का समर्थन करता है और इसके प्रशिक्षण केंद्र पाकिस्तानी क्षेत्र में स्थित हैं। पाकिस्तान में ISIS कमांडर की हत्या का ये पहला मामला नहीं है। हाल के वर्षों में क्वेटा, कराची और पेशावर में समूह के कई प्रमुख सदस्यों को निशाना बनाया गया है।
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