ढाका: भारत के नये-नवेले दुश्मन बांग्लादेश के साथ तुर्की स्ट्रैटजिक डिफेंस पार्टनरशिप करने की तैयारी में है। ताजा रिपोर्ट्स के मुताबिक तुर्की के डिफेंस इंडस्ट्री के एक शीर्ष अधिकारी के अगले हफ्ते बांग्लादेश का दौरा करने वाले हैं और इस दौरान दोनों देश डिफेंस-इंडस्ट्री साझेदारी का विस्तार करने को लेकर अहम बातचीत कर सकते हैं। इस घटनाक्रम से परिचित लोगों ने बताया है कि तुर्की की डिफेंस इंडस्ट्री एजेंसी (SSB) के प्रमुख हलुक गोरगुन 8 जुलाई को एक दिवसीय यात्रा पर ढाका आएंगे। इस दौरान वह अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस से मुलाकात करेंगे। यानि मोहम्मद यूनुस उस तुर्की के साथ स्ट्रैटजिक डिफेंस साझेदारी करने की तैयारी कर रहे हैं, जिसने हालिया संघर्ष के दौरान भारत के खिलाफ पाकिस्तान की मदद की थी।
हलुक गोरगुन का ढाका दौरा सिर्फ औपचारिक मुलाकातों तक सीमित नहीं रहने वाली है, बल्कि इसके जरिए तुर्की, बांग्लादेश में अपनी मौजूदगी को रणनीतिक स्तर पर मजबूत करना चाहता है। इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक गोरगुन की मुलाकातें बांग्लादेश के आर्मी चीफ जनरल वकार-उज-जमां, नेवी चीफ एडमिरल एम. नजमुल हसन और एयर चीफ मार्शल हसन महमूद खान से होने वाली हैं।
बांग्लादेश में पैर पसारने की तैयारी में तुर्की
शेख हसीना के कार्यकाल तक बांग्लादेश में तुर्की को पैर रखने का कोई मौका नहीं मिला था। लेकिन मोहम्मद यूनुस, जिन्होंने भारत विरोधी रूख अख्तियार कर रखा है, वो एर्दोगन के 'खलिफा शासन' का समर्थन कर रहे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक बांग्लादेश की शीर्ष निवेश संवर्धन एजेंसी, बांग्लादेश इन्वेस्टमेंट डेवलपमेंट अथॉरिटी (BIDA), तुर्की की डिफेंस कंपनियों के साथ मिलकर चटगांव और नारायणगंज में रक्षा औद्योगिक परिसर स्थापित करने की योजना बना रही है। BIDA के कार्यकारी चेयरमैन चौधरी आशिक महमूद बिन हारुन हाल ही में तुर्की के पांच दिवसीय दौरे पर थे, जहां उन्होंने तुर्की की प्रमुख रक्षा कंपनियों से बातचीत की थी। तुर्की की कंपनियां ड्रोन टेक्नोलॉजी, रडार सिस्टम, मिसाइल डेवलपमेंट और एयरक्राफ्ट मैन्युफैक्चरिंग जैसे क्षेत्रों में वैश्विक स्तर पर मान्यता प्राप्त कर चुकी हैं।
माना जा रहा है कि बांग्लादेश में डिफेंस फैक्ट्रियां स्थापित कर तुर्की, भारत को डायरेक्ट चुनौती देने की स्थिति में आना चाहता है। इसके अलावा तुर्की का प्लान एशिया-अफ्रीका के अन्य देशों को भी रक्षा सामग्री निर्यात करना है। तुर्की पहले से ही अफ्रीकी देशों में अपने पांव पसार चुका है। इसके अलावा मोहम्मद यूनुस एयरोस्पेस सेक्टर में भी तुर्की के साथ समझौता करना चाहते हैं। बांग्लादेश के विदेश मामलों के सलाहकार मोहम्मद तौहीद हुसैन ने अप्रैल 2025 में तुर्की का दौरा किया था। इस दौरान "एंटाल्या डिप्लोमेसी फोरम" के दौरान तुर्की एयरोस्पेस के प्रमुख मेहमत डेमिरोलू से मुलाकात की थी। इस बैठक में दोनों पक्षों ने एडवांस लड़ाकू विमान, प्रशिक्षण विमान और सैटेलाइट सिस्टम के क्षेत्र में सहयोग की संभावनाओं पर बात की थी। हुसैन ने कहा था कि "बांग्लादेश को एक भरोसेमंद पार्टनर की जरूरत है और यदि तुर्की के साथ यह सहयोग होता है, तो यह दोनों देशों के लिए एक विन-विन सौदा होगा।"
यानि बांग्लादेश सिर्फ एक ग्राहक के तौर पर नहीं, बल्कि एक रणनीतिक भागीदार के तौर पर तुर्की से डील करना चाहता है। तुर्की, बांग्लादेश के जरिए भारत पर प्रेशर बनाना चाहता है। चीन पहले से ही बांग्लादेश में पांव पसार रहा है और अब तुर्की भी ऐसा ही करने की तैयारी में है। अमेरिका भी बांग्लादेश की मदद से म्यांमार को तोड़कर अलग 'ईसाई देश' बनाने की योजना पर काम कर रहा है। अगले कुछ महीनों में बांग्लादेश, म्यांमार में हमला तक कर सकता है। यानि बांग्लादेश वैश्विक शक्तियों के लिए एक फुटबॉल का मैदान बनने की दिशा में निकल चुका है, जिसे भारत विरोधी देश अखाड़ा बना सकते हैं।
हलुक गोरगुन का ढाका दौरा सिर्फ औपचारिक मुलाकातों तक सीमित नहीं रहने वाली है, बल्कि इसके जरिए तुर्की, बांग्लादेश में अपनी मौजूदगी को रणनीतिक स्तर पर मजबूत करना चाहता है। इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक गोरगुन की मुलाकातें बांग्लादेश के आर्मी चीफ जनरल वकार-उज-जमां, नेवी चीफ एडमिरल एम. नजमुल हसन और एयर चीफ मार्शल हसन महमूद खान से होने वाली हैं।
बांग्लादेश में पैर पसारने की तैयारी में तुर्की
शेख हसीना के कार्यकाल तक बांग्लादेश में तुर्की को पैर रखने का कोई मौका नहीं मिला था। लेकिन मोहम्मद यूनुस, जिन्होंने भारत विरोधी रूख अख्तियार कर रखा है, वो एर्दोगन के 'खलिफा शासन' का समर्थन कर रहे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक बांग्लादेश की शीर्ष निवेश संवर्धन एजेंसी, बांग्लादेश इन्वेस्टमेंट डेवलपमेंट अथॉरिटी (BIDA), तुर्की की डिफेंस कंपनियों के साथ मिलकर चटगांव और नारायणगंज में रक्षा औद्योगिक परिसर स्थापित करने की योजना बना रही है। BIDA के कार्यकारी चेयरमैन चौधरी आशिक महमूद बिन हारुन हाल ही में तुर्की के पांच दिवसीय दौरे पर थे, जहां उन्होंने तुर्की की प्रमुख रक्षा कंपनियों से बातचीत की थी। तुर्की की कंपनियां ड्रोन टेक्नोलॉजी, रडार सिस्टम, मिसाइल डेवलपमेंट और एयरक्राफ्ट मैन्युफैक्चरिंग जैसे क्षेत्रों में वैश्विक स्तर पर मान्यता प्राप्त कर चुकी हैं।
माना जा रहा है कि बांग्लादेश में डिफेंस फैक्ट्रियां स्थापित कर तुर्की, भारत को डायरेक्ट चुनौती देने की स्थिति में आना चाहता है। इसके अलावा तुर्की का प्लान एशिया-अफ्रीका के अन्य देशों को भी रक्षा सामग्री निर्यात करना है। तुर्की पहले से ही अफ्रीकी देशों में अपने पांव पसार चुका है। इसके अलावा मोहम्मद यूनुस एयरोस्पेस सेक्टर में भी तुर्की के साथ समझौता करना चाहते हैं। बांग्लादेश के विदेश मामलों के सलाहकार मोहम्मद तौहीद हुसैन ने अप्रैल 2025 में तुर्की का दौरा किया था। इस दौरान "एंटाल्या डिप्लोमेसी फोरम" के दौरान तुर्की एयरोस्पेस के प्रमुख मेहमत डेमिरोलू से मुलाकात की थी। इस बैठक में दोनों पक्षों ने एडवांस लड़ाकू विमान, प्रशिक्षण विमान और सैटेलाइट सिस्टम के क्षेत्र में सहयोग की संभावनाओं पर बात की थी। हुसैन ने कहा था कि "बांग्लादेश को एक भरोसेमंद पार्टनर की जरूरत है और यदि तुर्की के साथ यह सहयोग होता है, तो यह दोनों देशों के लिए एक विन-विन सौदा होगा।"
यानि बांग्लादेश सिर्फ एक ग्राहक के तौर पर नहीं, बल्कि एक रणनीतिक भागीदार के तौर पर तुर्की से डील करना चाहता है। तुर्की, बांग्लादेश के जरिए भारत पर प्रेशर बनाना चाहता है। चीन पहले से ही बांग्लादेश में पांव पसार रहा है और अब तुर्की भी ऐसा ही करने की तैयारी में है। अमेरिका भी बांग्लादेश की मदद से म्यांमार को तोड़कर अलग 'ईसाई देश' बनाने की योजना पर काम कर रहा है। अगले कुछ महीनों में बांग्लादेश, म्यांमार में हमला तक कर सकता है। यानि बांग्लादेश वैश्विक शक्तियों के लिए एक फुटबॉल का मैदान बनने की दिशा में निकल चुका है, जिसे भारत विरोधी देश अखाड़ा बना सकते हैं।
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