बीजिंग: चीन युद्धस्तर पर मिसाइलों का उत्पादन कर रहा है। खासतौर से बीते पांच साल में चीन ने मिसाइल बनाने का काम कई गुना बढ़ा दिया है। साल 2020 से चीन ने अपने मिसाइल उत्पादन केंद्रों का कई गुना तेजी से विस्तार किया है। यह विस्तार अमेरिका और उसके सहयोगियों के लिए चुनौती बनकर उभरा है। खासतौर से ताइवान से टकराव की स्थिति में ये अहम होगा। वहीं भारत की चिंता भी चीन के इस कदम से बढ़ती है। चीन की बढ़ी हुई मिसाइल क्षमता का फायदा पाकिस्तान जैसे देशों को मिल सकता है, जो भारत के लिए परेशानी खड़ी करने के लिए जाने जाते हैं।
सीएनएन की एक रिपोर्ट के अनुसार, हाल ही में चीन से कुछ सैटेलाइट तस्वीरें सामने आई हैं। इन तस्वीरों चित्रों ने चीन के सीक्रेट मिसाइल विस्तार का खुलासा किया है। रिपोर्ट बताती है कि वर्तमान में चीन के पास अपने रॉकेट फोर्स (पीएलएआरएफ) और रक्षा उत्पादन से जुड़े 136 केंद्र हैं। इनमें से 60 प्रतिशत से ज्यादा केंद्रों का पिछले पांच वर्षों में बड़े पैमाने पर विस्तार हुआ है।
सैटेलाइट तस्वीरों से खुला राजरिपोर्ट के मुताबिक, सैटेलाइट तस्वीरों में नए फैक्ट्री टावर, बंकर और परीक्षण केंद्र दिखाई दिए हैं। इनमें से कुछ में मिसाइल के पुर्जे बाहर रखे हुए देखे गए हैं। 2020 से 2025 के बीच इन स्थलों का निर्माण क्षेत्र 20 लाख वर्ग मीटर बढ़ गया है। उत्पादन स्थल बनाने के लिए कई गांवों और कृषि भूमि को सैन्य परिसरों में बदला गया है।
पैसिफिक फोरम के वरिष्ठ फेलो और नाटो के पूर्व हथियार नियंत्रण निदेशक विलियम अल्बर्क का कहना है कि यह चीन के महाशक्ति बनने की दिशा में एक निर्णायक कदम है। कई देशों में हम अब एक नई हथियारों की दौड़ देख रहे हैं लेकिन चीन पहले ही यह दौड़ पूरी कर चुका है। चीन फिलहाल मैराथन की तैयारी कर रहा है।
जिनपिंग का सैन्य मजबूती पर जोरशी जिनपिंग ने साल 2012 में सत्ता संभालने के बाद से पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) को विश्व स्तरीय लड़ाकू बल के रूप में विकसित करने पर जोर दिया है। रॉकेट फोर्स (PLARF) को चीन का रणनीतिक कवच और राष्ट्रीय सुरक्षा की नींव के तौर पर देखा जाता है। हालिया वर्षों में इस पर खासतौर से ध्यान दिया गया है।
चीन के परमाणु और बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रमों का केंद्रबिंदु PLARF अमेरिका के विरुद्ध एक प्रमुख निवारक और ताइवान पर हमले की संभावित तैयारी का उपाय भी है। विशेषज्ञ मानते हैं कि नए केंद्रों पर निर्मित मिसाइलें ताइवान पर कब्जा करने की चीन की रणनीति में महत्वपूर्ण होंगी।
चीन का उद्देश्य अमेरिकी नौसेना को दूर रखने के लिए 'प्रवेश निषेध क्षेत्र' बनाना है। सीएनए थिंक टैंक विश्लेषक डेकर एवेलेथ कहते हैं कि चीन की योजना सीधे-सीधे अमेरिका को सहायता भेजने से रोकने के लिए ताइवान के बंदरगाहों, हेलीपैड और आपूर्ति ठिकानों को निशाना बनाने की है।
सीएनएन की एक रिपोर्ट के अनुसार, हाल ही में चीन से कुछ सैटेलाइट तस्वीरें सामने आई हैं। इन तस्वीरों चित्रों ने चीन के सीक्रेट मिसाइल विस्तार का खुलासा किया है। रिपोर्ट बताती है कि वर्तमान में चीन के पास अपने रॉकेट फोर्स (पीएलएआरएफ) और रक्षा उत्पादन से जुड़े 136 केंद्र हैं। इनमें से 60 प्रतिशत से ज्यादा केंद्रों का पिछले पांच वर्षों में बड़े पैमाने पर विस्तार हुआ है।
सैटेलाइट तस्वीरों से खुला राजरिपोर्ट के मुताबिक, सैटेलाइट तस्वीरों में नए फैक्ट्री टावर, बंकर और परीक्षण केंद्र दिखाई दिए हैं। इनमें से कुछ में मिसाइल के पुर्जे बाहर रखे हुए देखे गए हैं। 2020 से 2025 के बीच इन स्थलों का निर्माण क्षेत्र 20 लाख वर्ग मीटर बढ़ गया है। उत्पादन स्थल बनाने के लिए कई गांवों और कृषि भूमि को सैन्य परिसरों में बदला गया है।
पैसिफिक फोरम के वरिष्ठ फेलो और नाटो के पूर्व हथियार नियंत्रण निदेशक विलियम अल्बर्क का कहना है कि यह चीन के महाशक्ति बनने की दिशा में एक निर्णायक कदम है। कई देशों में हम अब एक नई हथियारों की दौड़ देख रहे हैं लेकिन चीन पहले ही यह दौड़ पूरी कर चुका है। चीन फिलहाल मैराथन की तैयारी कर रहा है।
जिनपिंग का सैन्य मजबूती पर जोरशी जिनपिंग ने साल 2012 में सत्ता संभालने के बाद से पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) को विश्व स्तरीय लड़ाकू बल के रूप में विकसित करने पर जोर दिया है। रॉकेट फोर्स (PLARF) को चीन का रणनीतिक कवच और राष्ट्रीय सुरक्षा की नींव के तौर पर देखा जाता है। हालिया वर्षों में इस पर खासतौर से ध्यान दिया गया है।
चीन के परमाणु और बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रमों का केंद्रबिंदु PLARF अमेरिका के विरुद्ध एक प्रमुख निवारक और ताइवान पर हमले की संभावित तैयारी का उपाय भी है। विशेषज्ञ मानते हैं कि नए केंद्रों पर निर्मित मिसाइलें ताइवान पर कब्जा करने की चीन की रणनीति में महत्वपूर्ण होंगी।
चीन का उद्देश्य अमेरिकी नौसेना को दूर रखने के लिए 'प्रवेश निषेध क्षेत्र' बनाना है। सीएनए थिंक टैंक विश्लेषक डेकर एवेलेथ कहते हैं कि चीन की योजना सीधे-सीधे अमेरिका को सहायता भेजने से रोकने के लिए ताइवान के बंदरगाहों, हेलीपैड और आपूर्ति ठिकानों को निशाना बनाने की है।
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