बीजिंग: चीन ने इजरायल की तर्ज पर एक शक्तिशाली इलेक्ट्रोमैग्नेटिक लेजर हथियार बनाने का ऐलान किया है। यह लेजर हथियार नौसेना के युद्धपोतों को दुश्मन के हजारों कम लागत के ड्रोन हमलों से बचाएगा। चीन के इस ऐलान से हिंद महासागर में भारत की टेंशन बढ़ने का अंदेशा है। चीन ने इसे डिजिटल युग का 'ग्रेट वॉल' बताया है। यह चीनी नौसैनिक पोतों के लिए काउंटर-स्वार्म सिस्टम के रूप में काम करेगा। यह डिजिटल ग्रेट वॉल उपग्रहों, एआई-संचालित सेंसरों और नए हथियारों को एक प्लेटफॉर्म से जोड़ेगा, जिसमें बीजिंग की हालिया सैन्य परेड में प्रदर्शित हाइपरसोनिक मिसाइलें, लेज़र और माइक्रोवेव बीम शामिल हैं। इसका लक्ष्य दुश्मन के ड्रोन बेड़े का पता लगाना और उसे लक्ष्य तक पहुंचने से पहले ही नष्ट करना होगा।
चीन ने बताया क्यों जरूरी है डिजिटल 'ग्रेट वॉल'
साउथ चाइना मॉर्निग पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, पीएलए नौसेना की डालियान नौसेना अकादमी के प्रोफेसर गुओ चुआनफू और उनकी टीम ने बताया है कि कैसे विरोधी विशाल, आर्टिफिशियल इटेलिजेंस से लैस ड्रोन के झुंड तैनात कर सकते हैं, जिनकी लागत प्रति यूनिट कुछ हजार डॉलर से भी कम होगी। उनका यह अध्ययन पीर-रिव्यूड जर्नल कमांड कंट्रोल एंड सिमुलेशन में प्रकाशित हुआ था में प्रकाशित हुआ है, जिसका शीर्षक "नेवल काउंटर स्वार्म सिस्टम का निर्माण: भविष्य के युद्ध के लिए एक रूपरेखा" है। इसमें चेतावनी दी गई है कि कैसे स्वार्म ड्रोन, एक साथ मिलकर अपनी संख्या के आधार पर पारंपरिक युद्धपोत की सुरक्षा को ध्वस्त कर सकते हैं।
चीन ने मिलिट्री परेड में दिखाए हथियार
उन्होंने जो काउंटर-मेजर्स सुझाए हैं, वे 3 सितंबर को चीन के विशाल सैन्य परेड में पहली बार प्रदर्शित किए गए कई प्रकार के एंटी ड्रोन वेपन सिस्टम से मेल खाते हैं। इनमें हाई एनर्जी माइक्रोवेव वेपन, LY-1 लेजर वेपन और CJ-1000 हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइलें शामिल हैं, जो हजारों किलोमीटर दूर से ड्रोन ले जाने वाले मालवाहक विमान को मार गिरा सकती हैं। माना जा रहा है कि चीन ने इस विचार को पहले ही अपनी सुरक्षा में शामिल कर लिया है। उसके बाद ही इस विचार को सार्वजनिक किया गया है।
भारत की बढ़ेगी टेंशन
चीन हिंद महासागर क्षेत्र में लगातार अपनी नौसैनिक उपस्थिति बढ़ा रहा है। वह पाकिस्तान में ग्वादर, श्रीलंका में हंबनटोटा, बांग्लादेश में कॉक्स बाजार और म्यांमार में क्याऊकप्यू बंदरगाह के जरिए भारत को घेरने की कोशिश भी कर रहा है। इन सभी बंदरगाहों का निर्माण और विकास चीनी पैसों से किया गया है। इसके अलावा चीन ने जिबूती में भी एक नौसैनिक अड्डा स्थापित किया है, जहां लगातार चीनी युद्धपोत तैनात रहते हैं। यह नौसैनिक अड्डा वैश्विक समुद्री परिवहन मार्ग के करीब स्थित है, जो भारत की ऊर्जा आपूर्ति सप्लाई को काट सकता है।
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साउथ चाइना मॉर्निग पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, पीएलए नौसेना की डालियान नौसेना अकादमी के प्रोफेसर गुओ चुआनफू और उनकी टीम ने बताया है कि कैसे विरोधी विशाल, आर्टिफिशियल इटेलिजेंस से लैस ड्रोन के झुंड तैनात कर सकते हैं, जिनकी लागत प्रति यूनिट कुछ हजार डॉलर से भी कम होगी। उनका यह अध्ययन पीर-रिव्यूड जर्नल कमांड कंट्रोल एंड सिमुलेशन में प्रकाशित हुआ था में प्रकाशित हुआ है, जिसका शीर्षक "नेवल काउंटर स्वार्म सिस्टम का निर्माण: भविष्य के युद्ध के लिए एक रूपरेखा" है। इसमें चेतावनी दी गई है कि कैसे स्वार्म ड्रोन, एक साथ मिलकर अपनी संख्या के आधार पर पारंपरिक युद्धपोत की सुरक्षा को ध्वस्त कर सकते हैं।
चीन ने मिलिट्री परेड में दिखाए हथियार
उन्होंने जो काउंटर-मेजर्स सुझाए हैं, वे 3 सितंबर को चीन के विशाल सैन्य परेड में पहली बार प्रदर्शित किए गए कई प्रकार के एंटी ड्रोन वेपन सिस्टम से मेल खाते हैं। इनमें हाई एनर्जी माइक्रोवेव वेपन, LY-1 लेजर वेपन और CJ-1000 हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइलें शामिल हैं, जो हजारों किलोमीटर दूर से ड्रोन ले जाने वाले मालवाहक विमान को मार गिरा सकती हैं। माना जा रहा है कि चीन ने इस विचार को पहले ही अपनी सुरक्षा में शामिल कर लिया है। उसके बाद ही इस विचार को सार्वजनिक किया गया है।
भारत की बढ़ेगी टेंशन
चीन हिंद महासागर क्षेत्र में लगातार अपनी नौसैनिक उपस्थिति बढ़ा रहा है। वह पाकिस्तान में ग्वादर, श्रीलंका में हंबनटोटा, बांग्लादेश में कॉक्स बाजार और म्यांमार में क्याऊकप्यू बंदरगाह के जरिए भारत को घेरने की कोशिश भी कर रहा है। इन सभी बंदरगाहों का निर्माण और विकास चीनी पैसों से किया गया है। इसके अलावा चीन ने जिबूती में भी एक नौसैनिक अड्डा स्थापित किया है, जहां लगातार चीनी युद्धपोत तैनात रहते हैं। यह नौसैनिक अड्डा वैश्विक समुद्री परिवहन मार्ग के करीब स्थित है, जो भारत की ऊर्जा आपूर्ति सप्लाई को काट सकता है।
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