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Supreme Court : DGCA से सुरक्षा ऑडिट की मांग, एयर इंडिया के खिलाफ याचिका

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Supreme Court : DGCA से सुरक्षा ऑडिट की मांग, एयर इंडिया के खिलाफ याचिका

News India live, Digital Desk: Supreme Court : एयर इंडिया के बेड़े में शामिल बोइंग विमानों की सुरक्षा को लेकर चिंताएं बढ़ गई हैं। इन चिंताओं को लेकर अब मामला देश की सबसे बड़ी अदालत, सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है। एक वकील ने सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका (PIL) दायर कर मांग की है कि एयर इंडिया के सभी बोइंग विमानों की उड़ानों को तत्काल प्रभाव से रोक दिया जाए।

क्यों दायर की गई याचिका?

यह याचिका वकील अलख आलोक श्रीवास्तव ने दायर की है। उनका कहना है कि हाल के दिनों में एयर इंडिया और अन्य अंतरराष्ट्रीय एयरलाइंस के बोइंग विमानों में कई तकनीकी खराबियां सामने आई हैं, जो यात्रियों की सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा हैं। याचिका में कुछ हालिया घटनाओं का जिक्र किया गया है, जैसे:

  • दिल्ली से सैन फ्रांसिस्को जा रही एयर इंडिया की फ्लाइट में तकनीकी खराबी के कारण उसे वापस लौटना पड़ा।

  • एक अन्य उड़ान में “फ्लैप” से जुड़ी समस्या सामने आई।

  • इसके अलावा इंजन में आग लगने और एयर कंडीशनिंग (AC) यूनिट के काम न करने जैसी घटनाएं भी हुई हैं।

याचिका में 2020 की कोझिकोड विमान दुर्घटना का भी हवाला दिया गया है, जिसमें कई लोगों की जान चली गई थी।

याचिका में क्या मांग की गई है?

याचिकाकर्ता ने अदालत से गुहार लगाई है कि जब तक विमानों की सुरक्षा पूरी तरह से सुनिश्चित नहीं हो जाती, तब तक उन्हें उड़ान भरने की इजाजत न दी जाए। याचिका में मुख्य रूप से तीन मांगें की गई हैं:

  • उड़ानों पर रोक: एयर इंडिया के पूरे बोइंग बेड़े को तब तक के लिए निलंबित (सस्पेंड) किया जाए, जब तक कि उनकी सुरक्षा का ऑडिट पूरा न हो जाए।

  • सुरक्षा ऑडिट: नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) को निर्देश दिया जाए कि वह सभी बोइंग विमानों का एक व्यापक सुरक्षा ऑडिट करे।

  • विशेषज्ञ समिति का गठन: विमानन सुरक्षा से जुड़े जोखिमों का विश्लेषण करने के लिए एक विशेषज्ञ समिति बनाई जाए।

  • याचिका में कहा गया है कि संविधान का अनुच्छेद 21 सभी नागरिकों को ‘जीवन का अधिकार’ देता है। असुरक्षित विमानों में यात्रा कराना इस मौलिक अधिकार का सीधा उल्लंघन है। यह याचिका लाखों यात्रियों की सुरक्षा से जुड़े एक गंभीर मुद्दे को उठाती है और किसी बड़ी दुर्घटना को होने से पहले रोकने के लिए अदालत से हस्तक्षेप की मांग करती है।

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