बीजिंग : चीन तुर्की का सैन्य साझेदार और अच्छा मित्र है। लेकिन एक अच्छे दोस्त ने तुर्की की पीठ में छुरा घोंपा है। एक बड़ी जानकारी सामने आई है। कहा जा रहा है कि चीन तुर्की के खिलाफ बड़ी साजिश रच रहा है। तुर्की के राष्ट्रीय खुफिया संगठन ने इस संबंध में बड़ा खुलासा किया है। तुर्की खुफिया एजेंसी द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, चीन ने तुर्की में जासूस तैनात किए हैं। चीनी जासूसों की मदद से चल रहे बीजिंग के साइबर जासूसी रैकेट का पर्दाफाश हुआ है।
यह हेरफेर तुर्की में सरकारी अधिकारियों और उइगर मुसलमानों के खिलाफ किया गया है। चीनी जासूस भूतिया बेस स्टेशनों यानी मोबाइल टावरों के जरिए जासूसी का काम करते रहे हैं। तुर्की की खुफिया एजेंसी ने इन जासूसों को रंगे हाथों पकड़ा है।
तुर्की की राष्ट्रीय खुफिया एजेंसी को चीन की ओर से कुछ संदिग्ध गतिविधियों पर संदेह हुआ था। इसके चलते खुफिया एजेंसी ने मामले की जांच शुरू कर दी है। एजेंसी की जांच से पता चला कि सात चीनी नागरिक गुप्त बेस स्टेशनों की मदद से तुर्की में एक साइबर नेटवर्क बना रहे थे। इस तकनीक की मदद से जासूस लोगों के मोबाइल फोन से चैट, लोकेशन और निजी जानकारी चुरा रहे थे।
तुर्की खुफिया एजेंसी की जांच के दौरान कुछ और चौंकाने वाली जानकारियां सामने आईं। चीनी जासूसों ने जासूसी उपकरणों को छोटे-छोटे टुकड़ों में तुर्की में तस्करी कर लाया, क्योंकि एक बार में सभी को लाना मुश्किल था। चार लोगों की मदद से एंटीना, बैटरी और कुछ अन्य भागों को तुर्की लाया गया। साथ ही, यह चीनी नेटवर्क इस्तांबुल से इज़मिर, मनीसा, बालिकेसिर और बर्सा तक फैला हुआ है। खुफिया एजेंसी द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, तपसा में कुछ चीनी जासूस भी गिरफ्तार किए गए हैं।
वास्तव में क्या खुलासा हुआ?कई ग्राहकों ने मोबाइल नेटवर्क कंपनियों से सरकारी एजेंसियों या कंपनियों के नाम पर फर्जी एसएमएस संदेश मिलने की शिकायत की है। बड़ी संख्या में शिकायतें मिलने के कारण मामले की जांच शुरू की गई। जांच के दौरान खुफिया एजेंसी को पता चला कि मोबाइल टावर के जरिए फर्जी एसएमएस भेजे जा रहे थे।
जांच के दौरान सामने आई जानकारी के अनुसार जासूस तीन समूहों में काम कर रहे थे। इनमें से एक समूह एसएमएस भेजने पर काम कर रहा था। एक समूह डेटा को इंटरसेप्ट करने पर काम कर रहा था और दूसरा समूह सारा डेटा चीन स्थित सर्वर पर भेजने पर काम कर रहा था। बाद में विदेशी ऐप्स की मदद से लोगों को निशाना बनाया जाने लगा। लोगों की क्रेडिट कार्ड संबंधी जानकारी एकत्रित की जा रही थी।