नई दिल्ली। मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह विवाद मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शाही ईदगाह को विवादित ढाचा नहीं माना है। हिंदू पक्ष ने शाही ईदगाह को विवादित स्थल घोषित किए जाने की मांग की थी, मगर उच्च न्यायालय ने याचिका को खारिज कर दिया। हिंदू पक्ष ने अपनी याचिका में दावा किया था श्रीकृष्ण की जन्मभूमि पर स्थित प्राचीन मंदिर को तोड़कर वहां शाही ईदगाह का निर्माण कराया गया था। अदालत ने इस पर कहा कि मौजूदा तथ्यों और याचिका के आधार पर फिलहाल शाही ईदगाह को विवादित ढांचा घोषित नहीं किया जा सकता।
हिंदू पक्षकार महेंद्र प्रताप सिंह की याचिका पर बहस के बाद हाईकोर्ट के न्यायाधीश राम मनोहर नारायण मिश्र ने 23 मई को इस मामले में आदेश सुरक्षित रख लिया था। महेंद्र सिंह ने मासिर ए आलम गिरी से लेकर मथुरा के कलेक्टर रहे एफएस ग्राउस तक के समय में लिखी गई इतिहास की पुस्तकों का हवाला देते हुए दावा किया था कि शाही ईदगाह का निर्माण मंदिर को तोड़कर कराया गया है। हिंदू पक्षकार ने यह भी कहा कि मुस्लिम पक्ष के द्वारा कोर्ट में कोई भी ऐसा सबूत पेश नहीं किया गया है जिससे यह सिद्ध हो सके कि मस्जिद वहां पहले से ही है। यहां तक कि उस जमीन के खसरा खतौनी में भी ने मस्जिद का नाम है और नगर निगम में भी उसका कोई रिकॉर्ड नहीं है। कोई टैक्स भी नहीं दिया जा रहा है। और तो और शाही ईदगाह प्रबंध कमेटी के खिलाफ बिजली चोरी की रिपोर्ट भी दर्ज हो चुकी है।
हिंदू पक्ष के मुताबिक यह मामला अयोध्या के श्रीराम मंदिर और बाबरी मस्जिद विवाद जैसा ही है। अयोध्या मामले में अदालत ने अपना फैसला सुनाने से पहले बाबरी मस्जिद को विवादित ढांचा माना था, इसलिए शाही ईदगाह मस्जिद को भी विवादित ढांचा घोषित किया जाना चाहिए। हालांकि मुस्लिम पक्ष इन सभी दलीलों का पुरजोर विरोध करते हुए शुरू से यह दावा कर रहा है कि शाही ईदगाह का निर्माण किसी मंदिर को तोड़कर नहीं किया गया है।
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