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महाराष्ट्र में एनसीपी के विलय की संभावनाएं: रोहित पवार का बयान

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एनसीपी के दो गुटों के विलय की चर्चा

एनसीपी विलय: महाराष्ट्र की राजनीतिक स्थिति में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के दो धड़ों—शरद पवार की एनसीपी (एसपी) और अजित पवार की एनसीपी—के विलय की संभावनाएं फिर से चर्चा में हैं। इसका कारण शरद पवार के पोते और एनसीपी विधायक रोहित पवार का हालिया बयान है। रोहित ने विलय की संभावना को पूरी तरह से खारिज नहीं किया, बल्कि कहा कि इस पर अंतिम निर्णय सुप्रिया सुले लेंगी। यह बयान महत्वपूर्ण है, क्योंकि शरद पवार गुट ने अब तक अजित पवार के बीजेपी के साथ गठबंधन को वैचारिक मतभेदों के आधार पर गलत ठहराया है। रोहित का यह रुख महाराष्ट्र की राजनीति में एक नया मोड़ ला सकता है.


एक कार्यक्रम में जब मीडिया ने रोहित पवार से विलय के बारे में पूछा, तो उन्होंने कहा, 'शरद साहब ने यह जिम्मेदारी सुप्रिया सुले को सौंपी है। वह 5 जून को विदेश यात्रा से लौटेंगी, और उसके बाद ही कोई निर्णय होगा।' उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि अभी न तो विधायकों और न ही कार्यकर्ताओं के स्तर पर अजित पवार गुट के साथ कोई औपचारिक बातचीत हुई है। रोहित ने शरद पवार की रणनीति का उल्लेख करते हुए कहा, 'पवार साहब जो कहते हैं, उसके गहरे मायने होते हैं। कई बार वह जो बोलते हैं, उसका उलट करते हैं।' यह बयान राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बन गया है, क्योंकि यह संकेत देता है कि पर्दे के पीछे कुछ चल रहा हो सकता है.


सुप्रिया सुले की भूमिका

शरद पवार ने पहले ही विलय के मुद्दे पर निर्णय सुप्रिया सुले और अजित पवार पर छोड़ने का संकेत दिया था। सुप्रिया, जो एनसीपी की कार्यकारी अध्यक्ष और बारामती से सांसद हैं, वर्तमान में 'ऑपरेशन सिंदूर' के बारे में वैश्विक मंचों पर चर्चा के लिए विदेश यात्रा पर हैं। उनके 5 जून को लौटने के बाद इस मुद्दे पर बैठक और निर्णय होने की संभावना है। सुप्रिया ने पहले कहा था कि वह कोई भी निर्णय लेने से पहले पार्टी कार्यकर्ताओं और विधायकों से चर्चा करेंगी। हालांकि, एक एनसीपी (एसपी) विधायक ने चेतावनी दी है कि विलय उतना सरल नहीं होगा, क्योंकि अजित पवार के साथ एकता का मतलब बीजेपी का समर्थन करना हो सकता है, जो शरद पवार की विचारधारा के खिलाफ है.


विलय की संभावनाएं और चुनौतियां

2023 में अजित पवार के बगावत कर बीजेपी-शिवसेना की महायुति सरकार में शामिल होने के बाद एनसीपी दो गुटों में विभाजित हो गई थी। चुनाव आयोग ने अजित गुट को आधिकारिक एनसीपी और 'घड़ी' चिह्न दिया, जबकि शरद पवार का गुट एनसीपी (एसपी) के नाम से जाना गया। लोकसभा चुनाव में शरद गुट ने 10 में से 8 सीटें जीतीं, लेकिन विधानसभा चुनाव में केवल 10 सीटें प्राप्त कीं, जबकि अजित गुट ने 41 सीटें हासिल कीं.


विलय की चर्चाओं में संभावित फॉर्मूला यह है कि सुप्रिया सुले केंद्र में मंत्री बनकर राष्ट्रीय राजनीति संभालेंगी, और अजित पवार महाराष्ट्र में पार्टी की कमान संभालेंगे। हालांकि, अजित गुट के नेता सुनील तटकरे और प्रफुल्ल पटेल विलय के खिलाफ हैं, जबकि शरद गुट के कुछ विधायक एकता के पक्ष में हैं.


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