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नई टैक्स व्यवस्था 2025: कितना टैक्स बचेगा? जानिए आसान गणना का तरीका

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वित्तीय वर्ष की शुरुआत के साथ ही नौकरीपेशा लोगों के सामने एक अहम सवाल आता है—पुरानी या नई टैक्स व्यवस्था में से किसे चुनें। यदि आप सैलरी पर हैं, तो आपको अप्रैल के दूसरे या तीसरे सप्ताह तक अपने ऑफिस के फाइनेंस डिपार्टमेंट को सूचित करना होता है कि आप किस टैक्स सिस्टम को अपनाना चाहते हैं।

🆕 क्या है नई टैक्स व्यवस्था में खास?

1 अप्रैल 2025 से लागू हुई नई इनकम टैक्स व्यवस्था कई बदलावों के साथ आई है, जिसमें बेसिक छूट की सीमा बढ़ाकर ₹4 लाख कर दी गई है। इसके अलावा, ₹12 लाख तक की सालाना आय पर कोई टैक्स नहीं लगता, यदि आप किसी कटौती का दावा नहीं करते हैं।

नई टैक्स स्लैब्स भी इस व्यवस्था को आकर्षक बनाते हैं, खासकर उनके लिए जो ज्यादा टैक्स सेविंग्स नहीं करते।

🧍♂️ किन लोगों को मिलेगा ज्यादा फायदा?

नई व्यवस्था उन लोगों के लिए बेहतर है जो 80C, HRA या होम लोन जैसी कटौतियों का लाभ नहीं लेते हैं। Deloitte India के अनुसार, यदि किसी व्यक्ति की सालाना आय ₹24 लाख है, तो केवल तभी पुरानी व्यवस्था फायदेमंद होगी जब वह ₹8 लाख तक की कटौती का दावा करे—जो कि हर किसी के लिए संभव नहीं है।

इसलिए, यदि आपके पास ज्यादा टैक्स सेविंग इन्वेस्टमेंट नहीं हैं, तो नई टैक्स व्यवस्था सरल और लाभदायक साबित हो सकती है।

📊 नई टैक्स व्यवस्था के टैक्स स्लैब (2025–26)
  • ₹0 – ₹4 लाख0% टैक्स
  • ₹4 – ₹8 लाख5% टैक्स
  • ₹8 – ₹12 लाख10% टैक्स
  • ₹12 – ₹16 लाख15% टैक्स
  • ₹16 – ₹20 लाख20% टैक्स
  • ₹20 – ₹24 लाख25% टैक्स
  • ₹24 लाख से ऊपर30% टैक्स
🧾 उदाहरण: ₹20 लाख सालाना वेतन पर टैक्स की गणना

मान लीजिए आपकी सालाना आय ₹20 लाख है।

  • सबसे पहले ₹75,000 की स्टैंडर्ड डिडक्शन घटाएं →
    टैक्स योग्य आय = ₹19.25 लाख
  • अब स्लैब के अनुसार टैक्स निकालें:
    • ₹0 – ₹4 लाख → ₹0 टैक्स
    • ₹4 – ₹8 लाख → ₹4 लाख पर 5% = ₹20,000
    • ₹8 – ₹12 लाख → ₹4 लाख पर 10% = ₹40,000
    • ₹12 – ₹16 लाख → ₹4 लाख पर 15% = ₹60,000
    • ₹16 – ₹19.25 लाख → ₹3.25 लाख पर 20% = ₹65,000
  • कुल टैक्स (सेस से पहले) = ₹1.85 लाख
  • 4% सेस = ₹7,400
  • कुल टैक्स देय = ₹1,92,400
  • पुरानी और नई टैक्स व्यवस्था में से चुनाव आपकी टैक्स प्लानिंग पर निर्भर करता है। यदि आप ज्यादा इन्वेस्टमेंट नहीं करते हैं, तो नई व्यवस्था में आपको टैक्स में अधिक राहत मिल सकती है, साथ ही यह ज्यादा आसान भी है।

    अपनी सैलरी और निवेश के आधार पर एक बार गणना जरूर करें और तभी अंतिम निर्णय लें।

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