आज का दिन यानी शुक्रवार देवी माँ की पूजा के लिए विशेष रूप से शुभ माना जाता है। शुक्रवार को माँ लक्ष्मी, माँ दुर्गा, और उनके विविध स्वरूपों की आराधना करने से भक्तों को धन, सुख-समृद्धि और मानसिक शांति का वरदान प्राप्त होता है। इस दिन यदि श्रद्धापूर्वक "श्री भगवती स्तोत्रम्" का पाठ किया जाए, तो देवी मां प्रसन्न होकर अपने भक्तों पर विशेष कृपा बरसाती हैं। यह स्तोत्र माँ दुर्गा की महिमा का गुणगान करता है और जीवन की बाधाओं को दूर करने में अत्यंत प्रभावशाली माना गया है। आइए जानते हैं इस स्तोत्र के पाठ की विधि और इससे मिलने वाले चमत्कारी लाभ।
श्री भगवती स्तोत्रम्: देवी की शक्ति का सार
"श्री भगवती स्तोत्रम्" एक अत्यंत प्रभावशाली और पूजनीय स्तोत्र है, जिसकी रचना आद्य शंकराचार्य ने की थी। इस स्तोत्र में माँ भगवती की विभिन्न शक्तियों, स्वरूपों और उनके चमत्कारी कार्यों का वर्णन किया गया है। यह स्तोत्र न केवल भक्त को आध्यात्मिक बल देता है, बल्कि भय, संकट, रोग, दरिद्रता और शत्रु बाधाओं से रक्षा करता है।
शुक्रवार को क्यों करें भगवती स्तोत्र का पाठ?
शुक्रवार का दिन माँ लक्ष्मी और माँ दुर्गा को समर्पित माना गया है। विशेषतः इस दिन श्री भगवती स्तोत्र का पाठ करने से जातक को त्रिविध तापों से मुक्ति, मनोवांछित फल की प्राप्ति और नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षा मिलती है। यह स्तोत्र साधना के रूप में किया जाए तो साधक को देवी की कृपा प्राप्त होती है और जीवन की हर कठिनाई सहजता से दूर हो जाती है।
श्री भगवती स्तोत्रम् पाठ विधि
प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें और पूजा स्थान को गंगाजल से शुद्ध करें।
माँ दुर्गा या भगवती की मूर्ति या चित्र के सामने दीपक और अगरबत्ती जलाएं।
देवी को लाल पुष्प, चावल, अक्षत, सिंदूर और मिठाई अर्पित करें।
आसन पर बैठकर एकाग्र चित्त होकर "श्री भगवती स्तोत्रम्" का पाठ करें।
पाठ के अंत में देवी से आशीर्वाद की प्रार्थना करें और आरती करें।
यदि स्तोत्र का पाठ संकल्पपूर्वक लगातार 9 शुक्रवार तक किया जाए, तो जीवन में अद्भुत सकारात्मक परिवर्तन महसूस होता है।
श्री भगवती स्तोत्रम् के पाठ से मिलने वाले लाभ:
संकटों से मुक्ति: जीवन में बार-बार आ रही समस्याएं, नौकरी की बाधा, विवाह में विलंब या पारिवारिक क्लेश — इन सभी में यह स्तोत्र अद्भुत परिणाम देता है।
धन-संपत्ति की प्राप्ति: माँ लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है और आय के नए स्रोत खुलते हैं।
नकारात्मकता का नाश: टोने-टोटके, बुरी नजर, शत्रु बाधा आदि से रक्षा होती है।
मानसिक शांति: चिंता, तनाव, भय और अनिद्रा जैसी मानसिक समस्याएं कम होती हैं।
भक्ति और साधना की सिद्धि: साधक के भीतर आध्यात्मिक चेतना जागृत होती है और साधनाएं सफल होने लगती हैं।
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