भारतवर्ष में देवी-देवताओं के चमत्कारों की कहानियां हर कोने में फैली हुई हैं, और उनमें से कई आज भी लोगों की आस्था का केंद्र बनी हुई हैं। ऐसा ही एक रहस्यमय और चमत्कारी स्थान है जहां हर साल माता रानी अग्नि स्नान करती हैं। आश्चर्य की बात यह है कि वहां कोई आग लगाता नहीं, बल्कि मंदिर में अपने आप भीषण आग लगती है, और वह भी ठीक एक खास समय पर! आग की इस रहस्यमय लपटों में मां की मूर्ति क्षण भर के लिए विलीन हो जाती है, लेकिन जैसे ही आग शांत होती है, एक चमत्कार घटित होता है — माता रानी की प्रतिमा पहले से अधिक तेजस्वी और सुंदर रूप में प्रकट होती है।
कहां है यह रहस्यमय मंदिर?यह रहस्यमयी घटना हर साल झारखंड, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश की सीमा के पास स्थित एक पुराने शक्ति पीठ में घटित होती है। स्थानीय लोगों के अनुसार यह मंदिर हजारों साल पुराना है और यहां माता रानी को 'अग्नि देवी' के नाम से जाना जाता है।
क्या होता है अग्नि स्नान?यहां नवरात्रों के दौरान एक विशेष दिन ऐसा आता है जब पूरे मंदिर परिसर में अचानक आग लग जाती है। न कोई जलती मशाल होती है, न ही कोई गैस या घी डाला जाता है। लेकिन एकदम से धधकती अग्नि मूर्ति को घेर लेती है।
श्रद्धालु इस घटना को मां का अग्नि स्नान कहते हैं। उनका मानना है कि माता स्वयं अग्नि में स्नान कर पवित्र होती हैं और अपने भक्तों को पवित्रता, शक्ति और सुरक्षा प्रदान करती हैं। यह दृश्य कई बार श्रद्धालुओं ने अपने मोबाइल कैमरे में कैद किया है, लेकिन विज्ञान अब तक इसकी कोई ठोस व्याख्या नहीं दे पाया है।
चमत्कार क्या होता है?अग्नि शांत होने के बाद जब भक्तजन माता की मूर्ति के दर्शन करते हैं, तो वह पहले से अधिक तेजस्वी, स्वर्णिम और आकर्षक रूप में दिखाई देती है। न मूर्ति को कोई क्षति पहुंचती है, न ही मंदिर की दीवारों को। यहां तक कि कपड़े, फूल-मालाएं भी जैसे पहले ही बचा ली जाती हों। यह सब देख कर भक्तजन आश्चर्य और श्रद्धा से झूम उठते हैं।
भक्तों की श्रद्धा और विश्वासहजारों की संख्या में श्रद्धालु इस अग्नि स्नान के साक्षी बनने हर साल यहां पहुंचते हैं। उनका मानना है कि इस अग्नि स्नान को देखने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं, पापों का नाश होता है और जीवन में नए ऊर्जा का संचार होता है।
वैज्ञानिक दृष्टिकोणकई वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों ने इस घटना की जांच करने की कोशिश की है, लेकिन अब तक कोई स्पष्ट कारण सामने नहीं आया है। कुछ लोग इसे प्राकृतिक गैस या अन्य तत्वों की प्रतिक्रिया मानते हैं, परंतु इस तथ्य से इनकार नहीं किया जा सकता कि यह आग हर साल ठीक एक ही समय, एक ही स्थान पर लगती है — और बिना किसी नुकसान के समाप्त भी हो जाती है।
निष्कर्षमाता रानी का यह अग्नि स्नान भक्तों के लिए आस्था और चमत्कार का जीवंत प्रतीक बन चुका है। जहां विज्ञान रुक जाता है, वहां श्रद्धा बोलने लगती है। यह चमत्कार न सिर्फ एक रहस्य है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति में देवी-भक्ति की अटूट शक्ति का परिचय भी देता है।
You may also like
आज से उज्जैन में पंचकोशी यात्रा शुरू
बिहार के इस जिले में लगा 70 लाख का जुर्माना, जानिए किस लिए प्रशासन ने चलाया 'फाइन का डंडा'
गर्मी में ठंडे पड़े इस कंपनी के शेयर, आधा घंटे में आ गई 5% की गिरावट, एक्सपर्ट ने क्या दी राय?
भीलवाड़ा : मंदिर में चौकीदार की बेरहमी से हत्या, आरोपित गिरफ्तार
मणिपुर में तलाशी अभियान जारी, हथियार और विस्फोटक बरामद