नई दिल्ली, 28 जून (Udaipur Kiran) । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को एक ऐतिहासिक क्षण में अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) से जुड़े ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बातचीत की। एक्सिओम-4 मिशन के तहत आईएसएस पर पहुंचे शुभांशु शुक्ला इस समय अंतरिक्ष में भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। इस गौरवपूर्ण उपलब्धि पर प्रधानमंत्री ने उन्हें बधाई दी और कहा कि आप अंतरिक्ष में भारत का परचम लहरा रहे हैं, इसके लिए मैं आपको 140 करोड़ भारतवासियों की ओर से शुभकामनाएं देता हूं।
प्रधानमंत्री ने बातचीत के दौरान भावुक अंदाज में कहा कि आज भले ही बातचीत हम दोनों के बीच हो रही है, लेकिन मेरी आवाज में पूरे देश का गर्व, उत्साह और उमंग शामिल है। आप भारत भूमि से सबसे दूर हैं, लेकिन हमारे दिलों के सबसे करीब हैं। उन्होंने कहा कि यह यात्रा सिर्फ एक वैज्ञानिक उपलब्धि नहीं, बल्कि भारत की संभावनाओं का विस्तार है। आपकी यह ऐतिहासिक यात्रा गगनयान मिशन की सफलता का पहला अध्याय है और यह विकसित भारत की यात्रा को नई गति और मजबूती देगी। प्रधानमंत्री ने इस बात पर भी बल दिया कि देश के युवाओं में अब अंतरिक्ष को लेकर एक नई चेतना जागी है। आज बच्चे सिर्फ तारे नहीं गिनते, बल्कि यह सोचते हैं कि वहां तक कैसे पहुंचा जाए।
इस दौरान ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने प्रधानमंत्री को अंतरिक्ष से अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि पृथ्वी से ऑर्बिट तक की यह मेरी नहीं, बल्कि पूरे भारत की 400 किलोमीटर की यात्रा है। जब मैं छोटा था, तो कभी नहीं सोचा था कि मैं अंतरिक्ष यात्री बनूंगा, लेकिन आज आपके नेतृत्व में देश के सपने साकार हो रहे हैं। मैं यहां सुरक्षित और बेहद खुश हूं। शुक्ला ने कहा कि वह अपने अनुभवों से बहुत कुछ सीख रहे हैं और उन्हें विश्वास है कि ये अनुभव भारत के आगामी अंतरिक्ष अभियानों में बहुत काम आएंगे। उन्होंने युवाओं को प्रेरित करते हुए कहा कि आकाश की कोई सीमा नहीं है। सफलता के रास्ते अलग हो सकते हैं, लेकिन प्रयास कभी नहीं रुकना चाहिए। अगर प्रयास जारी रहे तो सफलता ज़रूर मिलती है।
शुक्ला ने बताया कि पृथ्वी को अंतरिक्ष से देखने का अनुभव बेहद भावुक करने वाला है। भारत अंतरिक्ष से किसी नक्शे से भी ज़्यादा भव्य और विशाल दिखाई देता है। उल्लेखनीय है कि ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने 25 जून को प्लोरिडा स्थित नासा के कैनेडी स्पेस सेंटर से स्पेसएक्स के ड्रैगन कैप्सूल के माध्यम से तीन अन्य अंतरिक्ष यात्रियों के साथ उड़ान भरी थी। वे पिछले 41 वर्षों में अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन की यात्रा करने वाले पहले भारतीय हैं। उनकी यह उपलब्धि भारत के अंतरिक्ष इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ने वाली है, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणास्रोत बनेगी।
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(Udaipur Kiran) / सुशील कुमार
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