प्रयागराज, 26 जुलाई (Udaipur Kiran) । विद्यार्थी की सफलता में शिक्षक का योगदान अहम है। विश्वविद्यालय में शिक्षकों और विद्यार्थियों के बीच बने सम्बंध ही विद्यार्थियों को सफल बनाते हैं। वर्तमान में शिक्षक और विद्यार्थी के मध्य संबंधों को बेहतर करने की जरूरत है। विद्यार्थी भी शिक्षकों की डांट से मत डरें, उनकी डांट भी जीवन का सबसे महत्वपूर्ण पाठ पढ़ाती है। यह बातें सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति विक्रम नाथ ने शनिवार को इलाहाबाद विश्वविद्यालय (इविवि) के ईश्वर टोपा भवन सभागार में आयोजित विशिष्ट पुराछात्र सम्मान समारोह में कही।
उन्होंने विद्यार्थियों को सलाह दी कि मेहनत कभी बेकार नहीं जाती है। जिनती मेहनत करेंगे, उतने आगे बढ़ेंगे। आराम और सुख से कभी उज्ज्वल भविष्य नहीं बनता है। न्यायमूर्ति नाथ ने कहा कि माता-पिता के साथ ही शिक्षकों की भी मेंटरशिप का सम्मान करें, उनके साथ निकटता रखें। शिक्षक विद्यार्थी को क्लास के उपरांत समय दें और उनके व्यक्तित्व निर्माण में मदद करें। उन्होंने कहा कि विद्यार्थी जीवन की दोस्ती जीवन भर साथ निभाती है। अपनी गलतियों को बताने वाले से दूरी न बनाएं। उससे नजदीकी रखकर ही आपका सम्पूर्ण व्यक्तित्व विकास हो सकता है। आपकी कमियां बताने वाला ही आपका वास्तविक शुभचिंतक है। उन्होंने विद्यार्थियों को सलाह दी कि कानून केवल किताबों में नहीं बल्कि आपके जीवन में है। समाज को समझकर ही कानून को सही तरीके से समझा जा सकता है। प्रतिदिन समाचार पढ़ें और कोर्ट रूम में होने वाली चर्चाओं का हिस्सा बनें, इससे सीखने को मिलेगा। शार्टकट से मिली सफलता ज्यादा लंबा समय नहीं चलती है। उन्होंने पुरा छात्रों को जोड़ने के यूनिवर्सिटी ऑफ इलाहाबाद एल्युमनाई एसोसिएशन के प्रयासों की सराहना की।
सहिष्णुता ही भारत की नींव : न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया
सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया ने समारोह में कहा कि देश में विविधता में एकता के लिए दूसरे को समझने की जरूरत है। त्वरित निर्णय लेने के बजाय दूसरे के प्रति विनम्र भाव रखते हुए सहनशील बनने की जरूरत है। सहिष्णुता ही भारत की नींव है। विश्वविद्यालय में पठन-पाठन जीवन का एक अभिन्न अंग है, यहीं से भविष्य की दिशा तय होती है। उन्होंने कहा कि इविवि में मुझे प्रगतिशीलता और विचारों को समझने का मौका मिला। उन्होंने चिंता जताई कि वर्तमान में छात्रों के अंदर से बाहर की दुनिया खो गई है। दूसरे विश्वविद्यालयों और समाज में हो रहे घटनाक्रमों से आज के विद्यार्थी स्वयं को अलग कर रहा है। उन्होंने विद्यार्थियों को सलाह दी कि विद्यार्थियों को समाज में हो रहे घटनाक्रम पर भी अपनी नजर रखनी चाहिए। हमें समाज के प्रति जिम्मेदार विद्यार्थी तैयार करने होंगे। उन्होंने कहा कि इविवि को यह गौरव यहां के विद्वान शिक्षकों और प्रतिभाशाली छात्रों की कारण ही मिला है। यहीं से मिले अनुभव हमारी जीवनभर की पूंजी हैं।
अनुभव हमें सिखाते हैं : न्यायमूर्ति पंकज मित्थल
सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति पंकज मित्थल ने इविवि में पढ़ने के दौरान के अपने अनुभवों को याद किया। उन्होंने कहा कि क्लासरूम में ज्ञान वर्धन के साथ ही स्वयं के अनुभव भी विद्यार्थियों को बहुत कुछ सिखाते हैं। हम अपने अनुभवों से ही आगे बढ़ते हैं। उन्होंने कहा कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय के कैंपस का माहौल और यहां होने वाली चर्चाओं से मेरा जुड़ाव कला और साहित्य से हुआ।
तकनीक के साथ सामाजिक विज्ञान को भी समझें विद्यार्थी : न्यायमूर्ति मनोज मिश्र
सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति मनोज मिश्र ने विश्वविद्यालय शिक्षा के महत्व पर जोर दिया। उन्हांने कहा कि कम्प्यूटर, एआई और तकनीक पढ़ने से विद्यार्थियों में मानवता नहीं आ सकती, हमें बेहतरीन इंसान बनाने के लिए कला, सामाजिक विज्ञान और साहित्य के शिक्षण पर भी जोर देना होगा। विश्वविद्यालय में सभी विषयों को समझकर ही विद्यार्थियों का सम्पूर्ण विकास होता है।
इविवि ने पीढ़ी दर पीढ़ी शिक्षा की लौ जलाई : प्रो संगीता श्रीवास्तव
समारोह की अध्यक्षता करते हुए विवि की कुलपति प्रो. संगीता श्रीवास्तव ने कहा कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय करीब 139 वर्षों की शैक्षणिक पृष्ठभूमि को संजोए है। विश्वविद्यालय में वर्तमान में 532 शिक्षक कार्यरत हैं, इसमें से 350 शिक्षकों की नियुक्ति पिछले चार वर्षों में हुई है। इविवि का प्रयास रहा कि विद्यार्थियों का सर्वांगीण विकास हो। इसी क्रम में इविवि में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के लागू करते समय ऐसा प्रयास किया गया है कि कला का विद्यार्थी भी एआई सीख सके और विज्ञान के विद्यार्थी को भी कला और साहित्य की समझ हो जाए।
समारोह में रजिस्ट्रार प्रो. आशीष खरे सहित सभी संकायों के डीन और अन्य प्रशासनिक अधिकारी मौजूद रहे।
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(Udaipur Kiran) / विद्याकांत मिश्र
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