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जबलपुर : डीपीआई कमिश्नर की कार्यशैली को देखते हुए हाईकोर्ट ने जारी किए नोटिस

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जबलपुर, 14 अगस्त (Udaipur Kiran) । एमपी डीपीआई कमिश्नर शिल्पा गुप्ता की कार्यशैली को लेकर मप्र हाईकोर्ट ने नाराजगी व्यक्त की है एवं डीपीआई सहित राज्य सरकार, ट्राईबल वेलफेयर के प्रिंसिपल सेक्रेटरी, शिल्पा गुप्ता, ट्राईबल वेलफेयर डिपार्टमेंट के कमिश्नर और कई जिलों के शिक्षा अधिकारियों को नोटिस जारी किया है।

हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट आदेशों के बावजूद, आरक्षित वर्ग के मेरिट में आने वाले और 3 साल का अनुभव रखने वाले शिक्षकों को 90% वेतन के बजाय 70% वेतन पर नई नियुक्ति देकर उन्होंने एक नया विवाद खड़ा कर दिया है।

इसको लेकर हाईकोर्ट में फिर से मामला पहुंच गया है। सीधी निवासी संध्या शुक्ला, कटनी निवासी शुभम उरमलिया, मंडला निवासी आरती सेन, सागर निवासी उमाकांत साहू, राहुल सिंह चाडार, सरस्वती कोरी, आकांक्षा बाजपेयी और विदिशा निवासी शिवानी शर्मा ने रिट पिटीशन दाखिल की है। जस्टिस एम.एस. भट्टी ने इस पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए सरकार सहित कई अधिकारियों को हाइकोर्ट से नोटिस जारी हुए हैं।

उल्लेखनीय है कि हाईकोर्ट ने 23 अक्टूबर 2024 को आदेश दिया था कि आरक्षित वर्ग के प्रतिभाशाली अभ्यर्थियों को उनकी प्रथम वरीयता के अनुसार डीपीआई के अधीन स्कूलों में 20 दिनों के भीतर पदस्थापना दी जाए। निर्धारित समय सीमा में डीपीआई कमिश्नर ने आदेश का पालन नहीं किया। इसके बाद याचिकाकर्ताओं ने शिल्पा गुप्ता के खिलाफ अवमानना याचिकाएं दायर कर दीं। हाईकोर्ट के नोटिस मिलने के बाद भी न तो उन्होंने कोर्ट में वकील नियुक्त किया, न ही कंप्लायंस रिपोर्ट दाख़िल की। इसके बाद डिविजन बेंच ने उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिया। गिरफ्तारी से बचने के लिए उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने 25 अप्रैल 2025 को प्रारंभिक सुनवाई में ही यह याचिका खारिज करते हुए हाईकोर्ट के आदेशों की पुष्टि कर दी। इसके बावजूद भी शिल्पा गुप्ता ने आदेशों का पालन नहीं किया।

18 मई 2025 को हाईकोर्ट ने सख्त लहजे में अल्टीमेटम दिया कि अगर 18 जून 2025 तक आदेशों का पालन नहीं किया गया तो उन्हें गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया जाएगा और गैर-जमानती गिरफ्तारी का आदेश लागू होगा। इसके बाद 12 जून 2025 को शिल्पा गुप्ता ने खुद कंप्लायंस दाखिल करने के बजाय जिला शिक्षा अधिकारियों (सागर, सीधी, कटनी, गुना आदि) को निर्देश देकर याचिकाकर्ताओं के नए सिरे से नियुक्ति आदेश जारी करा दिए। याचिकाकर्ताओं ने इस आदेश पर लिखित आपत्ति दी । आरोप है कि शिल्पा गुप्ता ने साफ कह दिया कि आप लोगों के कारण मेरी बहुत बदनामी हुई है, इसलिए यह आदेश जारी किया है। चाहें तो फिर हाईकोर्ट चले जाएं। इस बयान की जानकारी याचिकाकर्ताओं के द्वारा हाईकोर्ट में भी दी गई। याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ एडवोकेट रामेश्वर सिंह ठाकुर और अधिवक्ता अभिलाषा सिंह लोधी ने पैरवी की।

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(Udaipur Kiran) / विलोक पाठक

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