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पर्यटन विभाग ने वाराणसी के 84 घाटों के लिए जीपीएस युक्त 'ऑडियो बुक' किया विकसित

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—अब मोबाईल ऐप पर काशी के सभी घाटों का इतिहास, महत्ता एवं पौराणिकता की मिलेगी जानकारी

वाराणसी,14 जुलाई (Udaipur Kiran) । उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग वाराणसी आने वाले पर्यटकों के अनुभव को और अधिक समृद्ध बनाने के उद्देश्य से एक अभिनव डिजिटल पहल कर रहा है। इस योजना में काशी के 84 प्रतिष्ठित घाटों के लिए एक जीपीएस युक्त ऑडियो बुक विकसित की जा रही है। ऑडियो बुक के माध्यम से पर्यटकों को नवीनतम जानकारी प्राप्त होगी।

प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह के अनुसार पर्यटन विभाग वाराणसी के आध्यात्मिक और सांस्कृतिक पर्यटन स्थलों और उससे जुड़ी जानकारियों को डिजिटल रूप में पेश करेगा। जीपीएस युक्त ऑडियो बुक के माध्यम से अब पर्यटक काशी के सभी घाटों की ऐतिहासिक, धार्मिक और पौराणिक महत्ता को चलते-फिरते सुन सकेंगे। पर्यटकों को जानकारी हिंदी और अंग्रेजी के साथ-साथ विभिन्न भारतीय भाषाओं में प्रदान की जाएगी। यह ऑडियो बुक उत्तर प्रदेश पर्यटन के मौजूदा मोबाइल एप्लिकेशन में एकीकृत होगी। उपयोगकर्ताओं को किसी क्यूआर कोड या अलग से ऐप डाउनलोड करने की आवश्यकता नहीं होगी। चाहे पर्यटक घाटों पर पैदल चल रहे हों, गंगा में नौका विहार कर रहे हों या दूर बैठे वर्चुअली अनुभव ले रहे हों, वे जीपीएस के ज़रिए या मैनुअल चयन से स्थान-विशेष की ऑडियो जानकारी सुन सकेंगे। यह सुविधा ऑफलाइन मोड में भी उपलब्ध रहेगी, जिससे तीर्थयात्रियों, पर्यटकों, नाव यात्रियों और घर से काशी की सैर कर रहे लोगों को भी लाभ मिलेगा।

पर्यटन मंत्री के अनुसार वाराणसी के प्रत्येक घाट को ऑडियो बुक में एक अध्याय के रूप में प्रस्तुत किया जाएगा, जिसमें शीर्षक दृश्य, विषयानुकूल पृष्ठभूमि से संबंधित संगीत और श्रवण बाधित व्यक्तियों के लिए लिखित सामग्री भी शामिल होगी। पेशेवर वॉयस आर्टिस्ट और कथावाचक इन कहानियों को जीवंत स्वरूप देंगे। साथ ही, इस डिजिटल ऑडियो बुक में उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग का लोगो युक्त विशेष रूप से डिजाइन किया गया कवर पेज भी होगा। वाराणसी के सभी 84 घाट केवल धार्मिक स्थल नहीं हैं, बल्कि हमारी समृद्ध सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत का जीवंत स्वरूप पेश करते हैं। इस जीपीएस युक्त ऑडियो बुक के माध्यम से हम जानकारियों को एक ऐसे अनुभव में प्रस्तुत कर रहे हैं, जो भाषा और स्थान की सीमाओं से परे है। चाहे गंगा किनारे चलना हो, नौका विहार करना हो या दूर बैठे सुनना हो, यह पहल काशी की अमर विरासत से जुड़ाव को और भी गहरा करेगी।

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(Udaipur Kiran) / श्रीधर त्रिपाठी

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