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सांस्कृतिक विरासत की पहचान है थलटु मेला

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मंडी, 29 मई . मंडी जिला के करसोग क्षेत्र में कलाशन पंचायत के अंतर्गत जौण खड्ड के बाये तट की लघु टेकड़ी पर आयोजित दो दिवसीय थलटु मेला सांस्कृतिक विरासत की पहचान है. सदियों से थलटु मेले की शोभा बढ़ाते आए देओ छंडयारा,बाड़ादेव,टौणादेव,देओ भारथी का दूसरे दिन सुकेत अधिष्ठात्री राज -राजेश्वरी महामाया पांगणा के मेले में पधारने के पावन अवसर पर महामिलन हुआ.

थलटु सौह चहुं ओर से चिड़, चील, बान, बादाम, सेब आदि की वनाच्छादित मनोरम पहाड़ियों से घिरा है. कलाशन पंचायत के प्रधान निर्मल ठाकुर मेला आयोजक केशव राम शौट व साथियों, भंडारी नंद लाल, महता भूपेंद्र ठाकुर का कहना है कि सैकड़ों वर्ष पूर्व इस क्षेत्र मे एक टौणे असुर का आतंक था. देओ छंडयारा ने इस टौणा असुर को मारकर व उसे देवत्व प्रदान कर देओ छंडयारा ने पजैरठी कलाशन की जनता को उसके आतंक से मुक्ति दिलाकर आर्य परंपरा को स्थापित किया था.

देओ छंडतारा के पुजारी धर्मदेव शर्मा का कहना है कि आज भी 12 संक्रातियों का झाड़ा उसकी स्मृति मे उसकी समाधी पर ही होता है. शौट गांव के धन्ना सिंह, मुकुंद सिह जालम और मदु राम ने यह मेला लगाया था. आज भी शौट गांव के 18 परिवार के व्यक्ति इस मेले का भोजनादि का खर्च वहन करते हैं. मेले मे देव मिलन के बाद देव रथ नृत्य आकर्षण का केंद्र रहा. देवी-देवता के रथ का यह नृत्य खुशी और आनंद की भावना को बढ़ावा देता है. संध्या के समय दोनो रथो के एक साथ मढ़ीधार कलीराम फीटर के घर आयोजित जातर को रवाना होने के साथ थलटु मेले का समापन हो गया.

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/ मुरारी शर्मा

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