नई दिल्ली, 19 जुलाई (Udaipur Kiran) । सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश भूषण रामकृष्ण गवई ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट सहित देश की तमाम अदालतें हमेशा से पर्यावरण संरक्षण में अहम भूमिका निभाती रही हैं। 1996 का टीएन गोडावर्मन केस एक ऐतिहासिक फैसला रहा, जिसमें पहली बार ‘वन’ की परिभाषा दी गई और बड़े पैमाने पर पेड़ों की कटाई पर रोक लगी। यह बात उन्होंने शनिवार को सुप्रीम कोर्ट के 20 न्यायाधीशों के साथ ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान के तहत पौधारोपण करते हुए कही। यह आयोजन वन महोत्सव 2025 के तहत दिल्ली सरकार द्वारा पीबीजी ग्राउंड दिल्ली रिज क्षेत्र में आयोजित किया गया था। इस अवसर पर वृक्षारोपण स्थल को “न्याय वाटिका” नाम दिया गया।
कार्यक्रम में मुख्य न्यायाधीश बी. आर. गवई, जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस विक्रमनाथ, जस्टिस एमएम सुंदरेश, जस्टिस पीश्री नरसिम्हा, जस्टिस दीपांकर दत्ता, जस्टिस पंकज मित्तल, जस्टिस संजय करोल, जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह, जस्टिस केवी विश्वनाथन, जस्टिस एसवीएन भाटी, जस्टिस ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह, जस्टिस संदीप मेहता, जस्टिस पीबी वराले, जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह, जस्टिस मनमोहन, जस्टिस जॉयमाला बागची, जस्टिस एनवी अंजरिया, जस्टिस विजय विश्नोई और जस्टिस अतुल एस चंदुरकर ने ‘ एक पेड़ मा के नाम’ अभियान में हिस्सा लेकर पौधारोपण किया।
मुख्य न्यायाधीश गवई ने अपने संबोधन में कहा कि अक्तूबर आते ही दिल्ली में प्रदूषण को लेकर चिंता की स्थिति बन जाती है। इस दौरान निर्माण कार्य पर रोक लगने से कई बार हजारों मजदूरों की आजीविका पर असर पड़ता है। इसका स्थायी समाधान जरूरी है। मुझे खुशी है कि दिल्ली सरकार इनोवेटिव तकनीक, जागरूकता और लोगों की भागीदारी के जरिए इस दिशा में गंभीरता से काम कर रही है। मेरी शुभकामनाएं दिल्ली सरकार के साथ हैं। इसके साथ ही 2027 तक दिल्ली में कचरे के पहाड़ों को हटाने का जो लक्ष्य तय किया गया है, वह सराहनीय है। मुझे उम्मीद है कि एक दिन दिल्ली की पर्यावरणीय पहल दक्षिण कोरिया की तरह दुनिया भर में मिसाल बनेंगी।
इस अवसर पर दिल्ली के पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के बीस न्यायाधीशों द्वारा अपनी मां की स्मृति में पेड़ लगाना अपने आप में एक ऐतिहासिक और प्रेरणादायक क्षण है। यह केवल एक पर्यावरणीय कदम नहीं, बल्कि भावनात्मक और हमारी नैतिक जिम्मेदारी है। वन महोत्सव 2025 के तहत यह अभियान दिल्ली में चल रहे अब तक के सबसे बड़े पौधारोपण प्रयासों में से एक है, जिसका लक्ष्य इस वर्ष 70 लाख पेड़ लगाना है। यह दिल्ली पर्यावरण कार्ययोजना का एक प्रमुख हिस्सा है, जिसमें सड़क धूल नियंत्रण, कचरा प्रबंधन, बायोमाइनिंग, निर्माण स्थलों की निगरानी और नागरिकों की भागीदारी शामिल है।
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(Udaipur Kiran) / धीरेन्द्र यादव
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