जोधपुर, 16 सितम्बर (Udaipur Kiran News). राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग ने बीमा कंपनी की अपील खारिज करते हुए आदेश दिया है कि बीमाधारक द्वारा प्रस्तावना प्रपत्र में पूर्व में ली गई किसी एक बीमा पॉलिसी की जानकारी देना पर्याप्त है. अन्य पॉलिसियों की जानकारी न देने के आधार पर दावा खारिज नहीं किया जा सकता. आयोग ने टाटा एआईए लाइफ इंश्योरेंस कंपनी को बीमा राशि अदा करने के साथ ब्याज और हर्जाना देने के निर्देश दिए.
आयोग के अध्यक्ष देवेन्द्र कच्छवाहा और सदस्य लियाकत अली ने आदेश में कहा कि कंपनी परिवादी को 3 करोड़ 50 लाख रुपये की बीमा राशि, 28 सितम्बर 2021 से 9 फीसदी ब्याज, 5 लाख रुपये हर्जाना और 25 हजार रुपये परिवाद व्यय का भुगतान करे.
मामला बालोतरा जिला आयोग के 20 फरवरी के आदेश से जुड़ा है. बीमा कंपनी ने अपील दायर कर कहा था कि बीमाधारक ने टाटा एआईए से पॉलिसी लेते समय केवल एलआईसी से ली गई एक पॉलिसी का जिक्र किया था, जबकि उसने चार निजी कंपनियों से भी बीमा ले रखा था. इस आधार पर दावा खारिज करने की मांग की गई थी.
परिवादी अनीता गर्ग की ओर से अधिवक्ता अनिल भंडारी ने तर्क दिया कि उनके पति भरत कुमार ने 27 जनवरी 2020 को 3.5 करोड़ रुपये की बीमा पॉलिसी ली थी. इससे पहले उन्होंने एलआईसी से 30 लाख रुपये की पॉलिसी ली थी. बाद में ली गई अन्य पॉलिसियों का बीमा प्रस्ताव से कोई संबंध नहीं था. 28 अक्तूबर 2020 को मोटर दुर्घटना में उनकी मौत हो गई थी. ऐसे में कंपनी द्वारा दावा खारिज करना अनुचित है.
आयोग ने कहा कि बीमाधारक ने पूर्व पॉलिसियों में से एक का जिक्र कर दिया था, जो पर्याप्त है. अन्य पॉलिसियों की जानकारी नहीं देने के आधार पर दावा खारिज नहीं किया जा सकता. इसलिए बीमा कंपनी को पूरी राशि ब्याज सहित और हर्जाना अदा करना होगा.
You may also like
सूर्यकुमार यादव ने ओमान पर जीत के बाद पाकिस्तान को दी चेतावनी
सलमान खान की पूर्व हीरोइन ममता कुलकर्णी का अनोखा सफर: हिरण का मांस से राम का जप
Demon Slayer: Infinity Castle ने भारतीय बॉक्स ऑफिस पर मचाई धूम
आयुष्मान कार्ड धारकों के लिए अस्पतालों में मुफ्त इलाज की शिकायत कैसे करें
कानपुर में पत्नी ने पति के अवैध संबंधों से परेशान होकर की आत्महत्या