पुरुलिया, 18 जुलाई (Udaipur Kiran) । झारखंड से लगे पश्चिम बंगाल के झालदा-2 ब्लॉक के कई गांवों के लोग बुरी तरह परेशान हैं। चितमु, गुड़िडी, ताहेरबेरा और कांशिडी जैसे गांवों के निवासियों के लिए मुख्य संपर्क मार्ग की हालत बेहद खराब हो चुकी है। दरअसल एक बड़े तालाब की मिट्टी काटकर सड़क पर फेंक दी गई, जिससे बरसात में सड़क दलदल में तब्दील हो गई है।
ग्रामीणों का कहना है कि यह सड़क उनके लिए बेहद महत्वपूर्ण है। किसान इसी रास्ते से झारखंड के जेनामोड़ और बोकारो तक आसानी से कृषि सामग्री लेकर जाते थे। साथ ही, गुड़िडी के निवासी पुंदाग या कोटशिला भी इसी मार्ग से पहुंचते थे। लेकिन अब मात्र 400 मीटर सड़क की खराब हालत के कारण उन्हें भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
गुड़िडी के निवासी शुभजीत गराई और हृषिकेश गराई का कहना है, “तालाब की मिट्टी को सड़क पर अवैध तरीके से फेंक दिया गया। इससे हमें कोटशिला जाने के लिए सात किलोमीटर और पुंदाग स्टेशन के लिए 17 किलोमीटर लंबा चक्कर लगाना पड़ रहा है।
ग्रामीणों का आरोप है कि मार्च-अप्रैल में चितमु में एक बड़े बांध की मरम्मत की गई थी। उस मरम्मत के बाद निकली मिट्टी को पास की पक्की सड़क पर ही डाल दिया गया। अब बारिश के कारण मिट्टी दलदल बन गई है, जिससे सड़क की हालत इतनी खराब हो चुकी है कि वहां से गुजरना तकरीबन नामुमकिन हो गया है। पैदल चलने पर भी घुटनों तक कीचड़ हो जाता है, वहीं वाहन चलाना तो बिल्कुल असंभव हो गया है।
इस मुद्दे को लेकर ग्रामीणों ने कई बार प्रशासन और जनप्रतिनिधियों से शिकायत की, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। जिला परिषद के लोक निर्माण विभाग के कार्याध्यक्ष हंसेश्वर महतो ने कहा कि समस्या की जानकारी मिली है। लोग वाकई में कठिनाई में हैं। इसका समाधान कैसे किया जाए, हम देख रहे हैं।
स्थानीय तृणमूल नेता मंटू गराई और जिला परिषद सदस्य युग्नीबाला गराई ने बताया कि तालाब के बांध की मरम्मत के दौरान सड़क किनारे ही मिट्टी डाली गई थी। उसपर मुरम डालने की योजना थी, लेकिन लगातार बारिश के चलते काम अधूरा रह गया। अभी खेती का मौसम है और ट्रैक्टर की आवाजाही से स्थिति और बिगड़ गई है। बारिश के बाद काम पूरा कर दिया जाएगा।
ग्रामीणों की मांग है कि सड़क की तत्काल मरम्मत की जाए या कम से कम वैकल्पिक व्यवस्था की जाए, ताकि उनके दैनिक आवागमन, खासकर खेतों और स्टेशनों तक पहुंचने में परेशानी ना हो।
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(Udaipur Kiran) / धनंजय पाण्डेय
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