कानपुर, 26 अप्रैल . डिस्लेक्सिया एक न्यूरोलॉजिकल स्थिति है. जो पढ़ने, लिखने, वर्तनी और कभी-कभी बोलने में कठिनाई का कारण बनती है. यह एक सामान्य शिक्षण अक्षमता है. जो बुद्धि से संबंधित नहीं है. डिस्लेक्सिया वाले लोग अक्सर शब्दों, अक्षरों या ध्वनियों को संसाधित करने में परेशानी महसूस करते हैं, जिससे पढ़ने की गति धीमी हो सकती है या शब्दों को समझने में दिक्कत हो सकती है. यह बातें शनिवार को ह्यूमैनिटीज एंड सोशल साइंसेज के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. ब्रजभूषण ने कही.
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी कानपुर) की ओर से डिस्लेक्सिया से पीड़ित बच्चों के लिए एक पहल की गई है. शहर के ग्रामीण क्षेत्र, वाराणसी, गाजियाबाद, नोएडा, फरीदाबाद और गुरुग्राम में सरकारी विद्यालयों को चिह्नित कर शिक्षकों को प्रशिक्षण देकर परामर्शदाताओं के प्रतिस्थापन के तौर पर तैयार किया जाएगा.
डिस्लेक्सिया एक प्रकार की लर्निंग डिसएबिलिटी है. जो खासकर पढ़ाई से जुड़ी समस्याओं से संबंधित होती है. बच्चों में होने वाली इस न्यूरोलॉजिकल स्थिति को समय पर पहचानकर उन्हें इससे निपटने में मदद करनी चाहिए. जिससे उनका भविष्य उज्जवल बनाया जा सके. इसके लिए जागरूकता जरूरी है. क्योंकि ज्यादातर लोग ऐसी स्थिति में बच्चों का स्वभाव समझने में असमर्थ होते हैं. इस बात को ध्यान में रखते हुए इस पहल की शुरुआत शहर के एनएलके अकादमी से हुई. जहां सरकारी स्कूलों में मनोवैज्ञानिक मदद को मजबूत करने शिक्षकों के बीच डिस्लेक्सिया और डिसग्राफिया से प्रभावित बच्चों की आवश्यकताओं के बारे में जागरूकता बढ़ाने और डिस्लेक्सिया के लिए गैर-क्लिनिकल आकलनों का विस्तार करने की अपनी प्रतिबद्धता के तहत क्यूट ब्रेन्स प्राइवेट लिमिटेड ने एनएलके अकादमी में एक प्रभावशाली कार्यशाला का आयोजन किया. इस कार्यक्रम में 30 से अधिक शिक्षकों ने प्रतिभाग किया. डाना फाउंडेशन के सीएसआर समर्थन और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर के स्टार्टअप इन्क्यूबेशन और इनोवेशन सेंटर की सहायता से क्यूट ब्रेन्स सरकारी और निजी प्राथमिक स्कूलों को मार्गदर्शन देने के लिए समर्पित है. इसका उद्देश्य माता-पिता और शिक्षकों को संवेदनशील बनाना गैर-क्लिनिकल आकलनों में सहायता करना और डिस्लेक्सिया और डिसग्राफिया से पीड़ित छात्रों के लिए सहायक एप्लिकेशन (एएसीडीडी) का उपयोग करके एप्लिकेशन-आधारित हस्तक्षेप प्रदान करना है.
/ रोहित कश्यप
You may also like
आज भोपाल में'द अंबेडकर यूथ कॉन्क्लेव' का आयोजन
इंदौर में आज 'एमपी टेक ग्रोथ कॉन्क्लेव-2025' का आयोजन, मुख्यमंत्री करेंगे शुभारंभ
ऋतिक रोशन को सुजैन खान को चुकानी पड़ी थी 380 करोड़ की एलिमनी! मामला सुलझाने में लगा दी थी जिंदगीभर की कमाई ⤙
युवा लोगों में आंत्र कैंसर की घटनाएं क्यों बढ़ रही हैं? विस्तृत स्वास्थ्य जानकारी जानें
बॉलीवुड की अभिनेत्रियों के ऊप्स मोमेंट्स: शर्मिंदगी के पल