नई दिल्ली, 18 जुलाई (Udaipur Kiran) । मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने शुक्रवार को विधि, न्याय एवं विधायी कार्य विभाग के साथ उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक में सरकारी मुकदमों को सुव्यवस्थित करने और न्यायपालिका पर अनावश्यक बोझ कम करने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने वरिष्ठ अधिकारियों को निर्देश दिए कि सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारियों और क्षेत्रीय विशेषज्ञों का एक पैनल गठित किया जाए जो लंबित मामलों की प्रकृति की समीक्षा कर यह सुझाव दे कि कौन-कौन से मुकदमे गैर-आवश्यक हैं और उन्हें किस प्रकार कम किया जा सकता है।
मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में कैबिनेट मंत्री कपिल मिश्रा व वरिष्ठ अधिकारी तथा विधि विशेषज्ञ उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री ने जानकारी दी कि वर्तमान में राजधानी में 11 न्यायिक जिले कार्यरत हैं, जो राजस्व जिलों के अनुरूप हैं और ये सात प्रमुख न्यायालय परिसरों में संचालित हो रहे हैं। उन्होंने बताया कि दिल्ली सरकार से संबंधित लगभग 4,000 मुकदमे विभिन्न न्यायालयों और अधिकरणों में लंबित हैं। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारियों और क्षेत्रीय विशेषज्ञों की एक पैनल गठित की जाए जो लंबित मामलों की प्रकृति की समीक्षा कर यह सुझाव दे कि कौन-कौन से मुकदमे गैर-आवश्यक हैं और उन्हें किस प्रकार कम किया जा सकता है। ये पैनल बेहतर मुकदमा प्रबंधन और त्वरित निपटान के लिए प्रणालीगत समाधान भी सुझाएंगे।
बैठक में यह उल्लेख किया गया कि अन्य राज्यों की भांति दिल्ली सरकार का सुप्रीम कोर्ट में कोई विशेष अधिवक्ता पैनल नहीं है। इस पर मुख्यमंत्री ने विधि विभाग को निर्देश दिए कि दिल्ली उच्च न्यायालय, सर्वोच्च न्यायालय और विभिन्न अधिकरणों में महत्वपूर्ण मामलों की पैरवी के लिए पूर्व निर्धारित शर्तों के साथ वरिष्ठ अधिवक्ताओं का एक विशेष पैनल गठित किया जाए। साथ ही सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली सरकार के लिए एक स्थायी पैनल गठित करने की संभावनाएं तलाशने के निर्देश भी दिए।
बैठक के दौरान न्यायिक अधिकारियों की स्वीकृत संख्या के मुकाबले कमी और कार्यालयों की सीमित स्थान की समस्या पर भी चर्चा की गई।
मुख्यमंत्री ने बताया कि शास्त्री पार्क, कड़कड़डूमा और रोहिणी में तीन नए न्यायालय परिसर निर्माणाधीन हैं और इनके पूर्ण होते ही इस कमी को काफी हद तक दूर किया जा सकेगा। उन्होंने संबंधित एजेंसियों को इन परियोजनाओं को समयबद्ध और शीघ्रता से पूर्ण करने के निर्देश दिए।
मुख्यमंत्री ने केवल प्रशासनिक नहीं, बल्कि कानूनी दृष्टि से भी सुधारों की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने निर्देश दिए कि वर्तमान आवश्यकताओं के अनुरूप नए अधिनियमों और कानूनों की संभावना तलाशी जाए और पुराने, संविधान पूर्व कानूनों जैसे कि पंजाब कोर्ट अधिनियम, न्याय शुल्क अधिनियम और वाद मूल्यांकन अधिनियम को प्रतिस्थापित किया। विवाद समाधान से जुड़ी प्रक्रिया को लेकर मुख्यमंत्री ने दिल्ली विवाद समाधान समिति द्वारा किए जा रहे कार्यों की सराहना की।
—————
(Udaipur Kiran) / धीरेन्द्र यादव
You may also like
450 नरमुंडों वाली कावड़ देख झूमे श्रद्धालु, हरिद्वार से हरियाणा 'बोल बम' की गूंज
एयर इंडिया क्रैश : क्या बोइंग प्लेन के फ्यूल स्विच बंद होने से पहले ही दोनों इंजन हो गए थे फेल?
Bihar : प्रधानमंत्री मोदी की रैली में लहराए काले झंडे, 3 लोगों को हिरासत में लिया
पीएम मोदी के बिहार दौरे पर नेता विपक्ष तेजस्वी ने साधा निशाना
Rajasthan: हाड़ौती में बारिश का रेड अलर्ट, स्कूलों की हुई छुट्टियां, कैथून और सांगोद कस्बे से कटा संपर्क