जयपुर, 13 मई . एसीबी मामलों की विशेष अदालत ने सुबोध शिक्षा समिति से जुडे एसीबी केस में दूसरी बार पेश एफआर को अस्वीकार कर दिया है. इसके साथ ही अदालत ने मामले में परिवादी की ओर से उठाए बिंदुओं को लेकर जांच के आदेश दिए हैं. पीठासीन अधिकारी सुरेंद्र कुमार ने यह आदेश परिवादी लक्ष्मीकांत की ओर से पेश प्रार्थना पत्र पर दिए.
मामले के अनुसार भवानी सहाय, पुलिस निरीक्षक द्वारा प्रारंभिक जांच कर सत्यापन रिपोर्ट पेश की थी. जिसमें कहा गया कि सुबोध शिक्षा समिति के अध्यक्ष नवरतन कोठारी, प्रोफेसर अश्वनी कुमार, एनके लोहिया और प्राचार्य केबी शर्मा ने मिलीभगत कर पदीय कर्तव्यों का दुरुपयोग किया. इन्होंने चयन समिति के मिनिट्स में कांट छांट कर केबी शर्मा को एसएस सुबोध पीजी कॉलेज के प्राचार्य पद पर नियम विरुद्ध चयनित किया. उस समय केबी शर्मा भौतिक शास्त्र के व्याख्याता पद पर कार्यरत थे. प्राचार्य पद पर चयनित होने के बाद भी भौतिक शास्त्र के व्याख्याता पद का वेतन के रूप में सरकार से 22.64 लाख रुपये का अनुदान प्राप्त कर आर्थिक हानि पहुंचाई. मामले में 12 अक्टूबर, 2017 को अदालत में तथ्यों की भूल के आधार पर एफआर पेश की गई. जिसे कोर्ट ने अस्वीकार कर अग्रिम जांच के आदेश दिए. वहीं अब फिर से एसीबी ने एफआर पेश कर दी. परिवादी की ओर से इस एफआर का विरोध करते हुए कहा गया कि एसीबी ने कई बिंदुओं पर जांच नहीं की है. जिस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने एसीबी को जांच के आदेश दिए हैं.
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