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अब इस पड़ोसी देश के लिए भारत से चलेगी सीधी ट्रेन, रेल मंत्री ने किया बड़ा ऐलान!

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भारत और भूटान के बीच अब ट्रेन से सफर करने का सपना जल्द सच होने वाला है। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने सोमवार को एक बड़ी घोषणा करते हुए बताया कि भारत और भूटान को पहली बार रेल नेटवर्क से जोड़ा जाएगा। यह खबर दोनों देशों के लोगों के लिए बेहद खास है, क्योंकि इससे न सिर्फ यात्रा आसान होगी, बल्कि व्यापार और रिश्तों को भी नया बल मिलेगा।

रेलवे नेटवर्क से जुड़ेगा भूटान

रेल मंत्री ने बताया कि भारत अपने रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण पड़ोसी देश भूटान को रेलवे नेटवर्क से जोड़ने के लिए 4000 करोड़ रुपये से ज्यादा का निवेश करेगा। इस परियोजना के तहत भूटान के दो प्रमुख शहर, गेलेफू और समत्से, भारत के असम और पश्चिम बंगाल से सीधे रेल मार्ग से जुड़ जाएंगे। इससे यात्री और माल परिवहन में क्रांतिकारी बदलाव आएगा। रेल मंत्री ने विदेश सचिव विक्रम मिसरी के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि दो रेल परियोजनाएं शुरू की जा रही हैं। पहली परियोजना असम के कोकराझार से गेलेफू और दूसरी पश्चिम बंगाल के बनारहाट से समत्से तक रेल संपर्क स्थापित करेगी।

कितना बड़ा होगा रेल नेटवर्क?

रेल मंत्री ने विस्तार से बताया कि बनारहाट से भूटान के औद्योगिक शहर समत्से तक 16 किलोमीटर लंबी रेलवे लाइन बनाई जाएगी। यह लाइन भूटान को पहली बार रेल नेटवर्क से जोड़ेगी। वहीं, कोकराझार से गेलेफू तक का रेल मार्ग 70 किलोमीटर लंबा होगा। इस तरह, दोनों परियोजनाओं से भूटान में कुल 90 किलोमीटर का रेल नेटवर्क तैयार होगा, जो भारतीय रेलवे से जुड़ा होगा। इन परियोजनाओं पर कुल 4033 करोड़ रुपये खर्च होंगे और इन्हें चार साल में पूरा करने का लक्ष्य है। खास बात यह है कि ये रेल लाइनें वंदे भारत ट्रेनों के लिए भी अनुकूल होंगी।

भूटान की अर्थव्यवस्था को मिलेगा बढ़ावा

रेल मंत्री ने कहा कि भारत भूटान का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। भूटान का ज्यादातर व्यापार भारतीय बंदरगाहों और सड़क मार्गों के जरिए होता है। इस रेल नेटवर्क के तैयार होने के बाद भूटान की अर्थव्यवस्था को नई गति मिलेगी। माल ढुलाई आसान होने से व्यापार में तेजी आएगी और दोनों देशों के बीच संबंध और मजबूत होंगे।

बनारहाट-समत्से रेल लाइन की खासियतें

बनारहाट से समत्से तक की 20 किलोमीटर लंबी रेल परियोजना में दो स्टेशन, एक बड़ा पुल, 24 छोटे पुल, एक फ्लाईओवर और 37 अंडरपास शामिल होंगे। इसकी लागत करीब 577 करोड़ रुपये होगी और इसे तीन साल में पूरा करने की योजना है। रेल मंत्री ने बताया कि ये रेल लाइनें बिजली से चलेंगी, जिससे पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं होगा। यह कदम न केवल भूटान के लिए, बल्कि भारत के पर्यावरण संरक्षण के लक्ष्यों के लिए भी महत्वपूर्ण है।

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