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इन मसालों को ज़्यादा खाने से हो सकती हैं ये 7 हैरान कर देने वाली समस्याएं

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भारतीय रसोई में मसाले केवल स्वाद बढ़ाने का काम ही नहीं करते, बल्कि ये हमारी सेहत के लिए भी वरदान हो सकते हैं। हल्दी, काली मिर्च, जीरा, सौंफ और कलौंजी जैसे मसाले न सिर्फ खाने को लज़ीज़ बनाते हैं, बल्कि इनमें औषधीय गुण भी होते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इन मसालों का अधिक सेवन आपके स्वास्थ्य को नुकसान भी पहुंचा सकता है? आइए, इन मसालों के फायदों और नुकसानों को गहराई से समझें और जानें कि इन्हें अपनी डाइट में कैसे संतुलित तरीके से शामिल किया जाए।

हल्दी: स्वास्थ्य का खजाना या खतरा?

हल्दी भारतीय खाने का अहम हिस्सा है, जिसे इसके औषधीय गुणों के लिए जाना जाता है। इसमें मौजूद करक्यूमिन तत्व सूजन कम करने और इम्यूनिटी बढ़ाने में मदद करता है। लेकिन अधिक मात्रा में हल्दी का सेवन पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन हार्मोन के स्तर को प्रभावित कर सकता है, जिससे प्रजनन क्षमता पर असर पड़ सकता है। इसके अलावा, जिन लोगों को लिवर की समस्या है, उन्हें हल्दी का सेवन सीमित करना चाहिए, क्योंकि यह लिवर पर अतिरिक्त दबाव डाल सकती है। हल्दी का संतुलित उपयोग ही सेहत के लिए फायदेमंद है।

काली मिर्च: स्वाद का जादू, लेकिन सावधानी जरूरी

काली मिर्च को 'मसालों की रानी' कहा जाता है। इसकी गर्म तासीर पाचन को बेहतर बनाती है और सर्दी-जुकाम में राहत देती है। लेकिन इसका अधिक सेवन गले में जलन, एसिडिटी या पेट में परेशानी का कारण बन सकता है। खासकर गर्मियों में या गर्म तासीर वाले लोगों को इसका सेवन कम करना चाहिए। काली मिर्च को खाने में थोड़ी मात्रा में डालकर ही इसके फायदों का आनंद लें।

कलौंजी: छोटा मसाला, बड़ा असर

कलौंजी को आयुर्वेद में कई बीमारियों के इलाज के लिए इस्तेमाल किया जाता है। यह इम्यूनिटी बढ़ाने और पाचन सुधारने में मदद करती है। लेकिन इसकी गर्म तासीर के कारण अधिक सेवन से सीने या पेट में जलन हो सकती है। खासकर गर्भवती महिलाओं को इसका सेवन सावधानी से करना चाहिए। कलौंजी को सीमित मात्रा में अपनी डाइट में शामिल करें ताकि इसके फायदे मिलें और नुकसान से बचा जा सके।

जीरा: पाचन का दोस्त, लेकिन अधिक सावधानी

जीरा पाचन तंत्र को मजबूत करने और गैस की समस्या को कम करने के लिए जाना जाता है। लेकिन इसका अधिक सेवन रक्त में शर्करा के स्तर को कम कर सकता है, जो डायबिटीज के मरीजों के लिए नुकसानदायक हो सकता है। इसके अलावा, स्तनपान कराने वाली माताओं को भी जीरे का अधिक सेवन करने से बचना चाहिए, क्योंकि यह दूध उत्पादन को प्रभावित कर सकता है। जीरे का संतुलित उपयोग ही सेहत के लिए लाभकारी है।

सौंफ: ताजगी का स्वाद, लेकिन खतरे भी

सौंफ का सेवन मुंह को ताजगी देने और पाचन को बेहतर बनाने के लिए किया जाता है। लेकिन इसमें मौजूद एस्ट्रेजोल तत्व गर्भाशय से संबंधित समस्याएं पैदा कर सकता है। गर्भवती महिलाओं में इसका अधिक सेवन गर्भपात के जोखिम को बढ़ा सकता है। इसलिए सौंफ को सीमित मात्रा में खाना ही बेहतर है।

मसालों का सही उपयोग कैसे करें?

मसालों का सही मात्रा में उपयोग न केवल खाने का स्वाद बढ़ाता है, बल्कि सेहत को भी फायदा पहुंचाता है। इन्हें अपनी डाइट में शामिल करने से पहले अपनी शारीरिक स्थिति और जरूरतों को समझें। अगर आपको कोई पुरानी बीमारी है, तो मसालों का सेवन करने से पहले डॉक्टर से सलाह लें। संतुलित मात्रा में मसालों का उपयोग आपके स्वास्थ्य को बेहतर बनाएगा और नुकसान से बचाएगा।

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