हिंदू धर्म में चंद्र ग्रहण को बेहद अशुभ माना जाता है, और साल 2025 का आखिरी चंद्र ग्रहण 7-8 सितंबर को लगने वाला है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, ग्रहण के दौरान कुछ खास नियमों का पालन करना जरूरी होता है, जैसे कि ग्रहण को देखना, खाना-पीना, या पूजा करना वर्जित माना जाता है। इस दौरान मंदिरों के कपाट बंद हो जाते हैं और ग्रहण खत्म होने तक देवी-देवताओं की पूजा या दर्शन नहीं किए जाते। गर्भवती महिलाओं के लिए भी कुछ खास नियम बताए गए हैं, ताकि वे और उनका होने वाला बच्चा सुरक्षित रहें। आइए जानते हैं कि चंद्र ग्रहण 2025 के दौरान गर्भवती महिलाओं को किन बातों का ध्यान रखना चाहिए और किन कामों से बचना चाहिए।
चंद्र ग्रहण के दौरान घर से बाहर न निकलेंहिंदू मान्यताओं के अनुसार, चाहे सूर्य ग्रहण हो या चंद्र ग्रहण, इसे किसी को भी नहीं देखना चाहिए, खासकर गर्भवती महिलाओं को। मान्यता है कि ग्रहण को देखने या उसकी छाया के संपर्क में आने से नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। गर्भवती महिलाओं को इस दौरान बाहर निकलने से बचना चाहिए, क्योंकि इससे उनकी आंखों और गर्भ में पल रहे बच्चे पर बुरा असर पड़ सकता है। इसलिए ग्रहण के समय घर में रहना ही सुरक्षित माना जाता है।
खान-पान से जुड़े नियमधार्मिक मान्यताओं के अनुसार, चंद्र ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाओं को खाना-पीना नहीं चाहिए। इस नियम का पालन करने के लिए वे ग्रहण शुरू होने से पहले पौष्टिक और संतुलित भोजन ले सकती हैं। हालांकि, अगर कोई गर्भवती महिला बीमार है या उसे विशेष परिस्थितियों में भोजन की जरूरत है, तो यह नियम उन पर लागू नहीं होता। ऐसी स्थिति में अपनी सेहत का ध्यान रखना सबसे जरूरी है।
मंत्र जप से करें नकारात्मक ऊर्जा को दूरहिंदू मान्यताओं में कहा जाता है कि ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाओं को सोना नहीं चाहिए। इसके बजाय, उन्हें अपने इष्ट देवी-देवता का ध्यान करते हुए उनके मंत्रों का जाप करना चाहिए। हालांकि, इस समय मूर्तियों या चित्रों को छूना और पूजा करना वर्जित है, लेकिन मंत्र जप की अनुमति है। मान्यता है कि मंत्रों के जप से ग्रहण की नकारात्मक ऊर्जा का असर खत्म हो जाता है और सकारात्मकता बनी रहती है।
ग्रहण के बाद स्नान है जरूरीचंद्र ग्रहण खत्म होने के बाद गर्भवती महिलाओं को स्नान करना चाहिए। स्नान के बाद ईश्वर की पूजा और ध्यान करते हुए स्वस्थ संतान की कामना करनी चाहिए। यह न केवल शारीरिक शुद्धि के लिए जरूरी है, बल्कि मान्यता है कि इससे ग्रहण के नकारात्मक प्रभाव भी दूर हो जाते हैं।
घर में करें गंगाजल का छिड़कावग्रहण समाप्त होने के बाद गर्भवती महिलाओं को स्नान और पूजा के बाद पूरे घर में गंगाजल का छिड़काव करना चाहिए। गंगाजल में तुलसी के पत्ते मिलाकर इसका सेवन भी शुभ माना जाता है। यह घर को शुद्ध करने और नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने का एक पारंपरिक तरीका है।
दान से मिलता है पुण्यहिंदू मान्यताओं के अनुसार, ग्रहण के बाद गर्भवती महिलाओं को स्नान और पूजा के बाद किसी जरूरतमंद को दान देना चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से ग्रहण से जुड़े दोष दूर हो जाते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। दान में अन्न, वस्त्र या अन्य जरूरी चीजें दी जा सकती हैं।
नुकीली चीजों से रहें दूरग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाओं को नुकीली या धारदार वस्तुओं, जैसे चाकू या कैंची, का उपयोग नहीं करना चाहिए। मान्यता है कि ऐसी चीजों का इस्तेमाल करने से गर्भवती महिला और बच्चे को नुकसान हो सकता है। इसलिए इस दौरान सावधानी बरतना जरूरी है।
नोट: ये सभी नियम धार्मिक मान्यताओं और लोक परंपराओं पर आधारित हैं। इनका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है। इसलिए, गर्भवती महिलाएं अपनी आस्था और शारीरिक स्थिति के अनुसार इन नियमों को अपना सकती हैं। खान-पान और रहन-सहन से जुड़े फैसले लेते समय अपनी सेहत को प्राथमिकता देना जरूरी है।
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