यामीन विकट, ठाकुरद्वारा। मुरादाबाद के किशनपुर गांवड़ी में 25 जुलाई को हुए गौहत्या मामले में पूर्व जिला पंचायत सदस्य ज़रीफ मलिक को आरोपी बनाया गया था। अब उन्होंने खुद को बेकसूर बताते हुए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी), नई दिल्ली का दरवाजा खटखटाया है। ज़रीफ का कहना है कि उन्हें झूठे मामले में फंसाया गया है। इस शिकायत के बाद आयोग ने मुरादाबाद के एसएसपी को पत्र लिखकर मामले की निष्पक्ष जांच के आदेश दिए हैं। क्या है इस मामले की पूरी सच्चाई? आइए जानते हैं।
ज़रीफ मलिक का दावा: “मैं निर्दोष हूँ”ज़रीफ मलिक ने मानवाधिकार आयोग को बताया कि वह एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं और ग्राम पंचायत चुनाव से पहले उनकी छवि को खराब करने के लिए उन्हें इस झूठे मामले में फंसाया गया। उन्होंने आयोग के सामने दावा किया कि जिस समय गौहत्या का कथित मामला हुआ, वह अपने स्कूल में मौजूद थे। इसका सबूत देते हुए उन्होंने सीसीटीवी फुटेज भी पेश की, जिसमें वह उस समय स्कूल में दिखाई दे रहे हैं। ज़रीफ का कहना है कि यह पूरा मामला उनकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने की साजिश का हिस्सा है।
मानवाधिकार आयोग का सख्त रुखराष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने इस मामले को गंभीरता से लिया है। आयोग की एक समिति, जिसकी अध्यक्षता सदस्य प्रियांक कानूनगो कर रहे हैं, ने मुरादाबाद के एसएसपी को पत्र भेजा है। इस पत्र में साफ कहा गया है कि मामले की निष्पक्ष और गहन जांच की जाए। आयोग ने पुलिस को चार सप्ताह के भीतर पूरी जांच करके एक विस्तृत रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया है। अब सबकी नजर इस बात पर है कि पुलिस की जांच में क्या सच सामने आएगा।
You may also like
स्तन कैंसर: इन लक्षणों को देखकर फौरन हो जाएं सावधान!
देवेंद्र फडणवीस ने राहुल गांधी के हाइड्रोजन बम बयान पर साधा निशाना
3 दिन में पथरी तो` 1 दिन में गांठ को गला देती है ये सब्जी गठिया और बालों के लिए किसी वरदान से नहीं है कम
SUV सेगमेंट में बड़ा उलटफेर! Vitara, Harrier रह गई पीछे, इस गाड़ी ने जीता ग्राहकों का दिल
Bollywood Party : शबाना आज़मी के 75वें जन्मदिन पर धमाका! जब जावेद अख्तर के साथ नाचीं, तो थम गईं सबकी धड़कनें