Dehradun News : देहरादून के प्रतिष्ठित दून अस्पताल में सरकारी जमीन पर बनी एक अवैध मजार को उत्तराखंड की धामी सरकार ने बुल्डोजर से ध्वस्त कर दिया। यह कार्रवाई सीएम हेल्पलाइन पोर्टल पर दर्ज शिकायत के बाद रात के समय प्रशासनिक जांच के आधार पर की गई। इस घटना ने न केवल स्थानीय लोगों का ध्यान खींचा, बल्कि सरकारी जमीन पर अवैध कब्जे के खिलाफ सरकार की सख्त नीति को भी रेखांकित किया। आइए, इस पूरे मामले को विस्तार से समझते हैं।
शिकायत से शुरू हुआ मामला
ऋषिकेश के निवासी पंकज गुप्ता ने सीएम हेल्पलाइन पोर्टल पर दून अस्पताल परिसर में बनी अवैध मजार की शिकायत दर्ज की थी। उनकी शिकायत में कहा गया था कि यह मजार सरकारी जमीन पर बिना किसी अनुमति के बनाई गई है। इस शिकायत को गंभीरता से लेते हुए देहरादून के जिलाधिकारी ने जांच के आदेश दिए। जांच में राजस्व विभाग, नगर निगम, लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी), और दून अस्पताल प्रशासन जैसे कई विभाग शामिल हुए।
जांच के दौरान यह सवाल उठे कि क्या यह मजार वैध है? क्या इसके निर्माण के लिए कोई अनुमति ली गई थी? और क्या यह संरचना वाकई सरकारी जमीन पर बनी है? इन सभी बिंदुओं पर गहन जांच की गई। अस्पताल प्रशासन से भी इस मामले में विस्तृत रिपोर्ट मांगी गई। जांच में यह स्पष्ट हुआ कि मजार पूरी तरह अवैध थी और इसके निर्माण के लिए कोई वैध दस्तावेज मौजूद नहीं थे। इसके बाद मजार के खादिम को नोटिस जारी किया गया।
अंधविश्वास और अवैध कारोबार का गढ़
दून अस्पताल परिसर में बनी इस मजार को लेकर स्थानीय लोगों में कई तरह की चर्चाएं थीं। कुछ इसे किसी फकीर की मजार मानते थे, तो कुछ इसे अन्य धार्मिक स्थल के रूप में देखते थे। मजार के खादिम कथित तौर पर अस्पताल में भर्ती मरीजों और उनके परिजनों के बीच जाकर अंधविश्वास को बढ़ावा देते थे।
वे लोगों को मजार पर इबादत करने के लिए प्रेरित करते, जिससे उनका निजी कारोबार चलता था। इससे न केवल मरीजों को परेशानी होती थी, बल्कि अस्पताल प्रशासन भी इस अवैध गतिविधि से त्रस्त था। बताया जाता है कि पहले भी अस्पताल प्रशासन ने इस मजार को हटाने की मांग शासन से की थी। मरीजों के इलाज में व्यवधान और परिसर में अव्यवस्था के कारण प्रशासन ने इसे गंभीर समस्या माना था। हालांकि, अब तक इस पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो पाई थी।
रातों-रात बुल्डोजर कार्रवाई
जांच पूरी होने के बाद प्रशासन ने तेजी से कदम उठाया। देर रात दून अस्पताल मार्ग को सील कर पुलिस बल तैनात किया गया। नगर निगम, लोक निर्माण विभाग, जिला प्रशासन और अस्पताल प्रशासन की संयुक्त टीम ने मिलकर बुल्डोजर से मजार को ध्वस्त कर दिया। खास बात यह रही कि ध्वस्तीकरण के बाद मलबे में कोई धार्मिक अवशेष नहीं मिला, जिससे यह और स्पष्ट हो गया कि यह संरचना पूरी तरह अवैध थी।
सरकार की सख्त नीति का संदेश
यह कार्रवाई न केवल अवैध कब्जे के खिलाफ धामी सरकार की सख्त नीति को दर्शाती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि जनता की शिकायतों को कितनी गंभीरता से लिया जा रहा है। सीएम हेल्पलाइन पोर्टल के जरिए दर्ज शिकायत से लेकर त्वरित कार्रवाई तक, यह पूरा मामला उत्तराखंड सरकार की पारदर्शिता और जवाबदेही का उदाहरण है।
देहरादूनवासियों ने इस कार्रवाई का स्वागत किया है। स्थानीय लोगों का कहना है कि सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा न केवल कानून का उल्लंघन है, बल्कि यह सार्वजनिक सुविधाओं को भी प्रभावित करता है। खासकर दून अस्पताल जैसे महत्वपूर्ण स्वास्थ्य केंद्र में ऐसी गतिविधियां मरीजों के लिए परेशानी का सबब बन सकती हैं।
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